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हैरानी की बात है कि भाजपा का सदस्यता अभियान सत्ताधारी राज्यों में बेहद कमजोर …

दिल्ली ब्यूरो रिपोर्ट | हैरानी की बात है कि भाजपा का अभियान बिहार, छत्तीसगढ़ और राजस्थान जैसे उन राज्यों में बेहद कमजोर है जहां पार्टी सत्ता में है। इसके अलावा दक्षिण भारत के राज्यों तेलंगाना, तमिलनाडु, केरल में भी अभियान में तेजी लाने की जरूरत है। सदस्यता अभियान के जरिये 10 करोड़ नए सदस्यों को जोड़ कर दमखम दिखाने की भाजपा की योजना पर कई राज्यों की सुस्त रफ्तार बाधा बन रही है। अभियान के चार हफ्ते बाद भी पार्टी अपने लक्ष्य का महज 42 फीसदी ही हासिल कर पाई है। आधे से अधिक राज्य दिए गए लक्ष्य का करीब एक चौथाई सदस्य ही बना पाए हैं। पार्टी नेतृत्व ने ऐसे राज्यों को अभियान की रफ्तार तेज करने का निर्देश दिया है।

अब तक पार्टी ने 4.25 करोड़ सदस्य बनाए हैं। इनमें उत्तर प्रदेश ने तय दो करोड़ के लक्ष्य का आधा एक करोड़, मध्य प्रदेश ने तय लक्ष्य 1.5 करोड़ की तुलना में 1 करोड़, असम ने तय लक्ष्य 50 लाख के मुकाबले 42 लाख सदस्य बना लिए हैं।

राजस्थान और बिहार को एक-एक करोड़ नए सदस्य बनाने का लक्ष्य मिला है, मगर दोनों ने अब तक क्रमश: 25 और 30 लाख सदस्य ही बनाए हैं। तेलंगाना में सात लाख नए सदस्य बने हैं जो दिए गए 25 लाख के लक्ष्य से बहुत पीछे है। केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, उत्तराखंड और ओडिशा में भी सदस्यता अभियान अपने लक्ष्य से बहुत पीछे चल रहा है।

सुस्त रफ्तार के बाद पार्टी नेतृत्व ने तीन महाभियान शुरू करने का फैसला किया था। इसके तहत पहले महाभियान में 25 सितंबर को पार्टी ने अनुमानत: सवा करोड़ सदस्य बनाए। पार्टी की योजना अब पांच अक्तूबर और 15 अक्तूबर को महाभियान के जरिये चार करोड़ सदस्य बनाने की है। पार्टी ने पहले प्रतिदिन 50 लाख नए सदस्य बनाने का लक्ष्य तय किया था, हालांकि प्रतिदिन 20 से 25 लाख ही नए सदस्य बनाए जा रहे हैं।

इन विधानसभा में सदस्यता अभियान ने अच्छा काम किया
सदस्यता अभियान में पार्टी ने कर्नाटक की येलाहकां विधानसभा सीट पर 1.45 लाख, इंदौर-1 सीट पर 1.17 लाख और राजकोट शहर की सीट पर 1.25 लाख नए सदस्य बनाने का कमाल दिखाया है।

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