नई दिल्ली रिपोर्ट । केंद्र सरकार वामपंथी उग्रवाद को पूरी तरह से समाप्त करने की रणनीति पर काम कर रही है. साथ ही बैठक में वामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्यों को विकास सहायता को लेकर चर्चा भी होगी. बैठक में पांच केंद्रीय मंत्रालयों के मंत्री भी शामिल होंगे. उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और केंद्र, राज्यों और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPF) के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहेंगे.वामपंथी उग्रवाद क्या है: वामपंथी उग्रवाद उन राजनीतिक विचारधाराओं और समूहों को संदर्भित करता है, जो क्रांतिकारी तरीकों के माध्यम से महत्वपूर्ण सामाजिक एवं राजनीतिक परिवर्तन की वकालत करते हैं. भारत में वामपंथी उग्रवादी आंदोलन की शुरुआत वर्ष 1967 के पश्चिम बंगाल में नक्सलबाड़ी से हुई थी. गृह मंत्रालय के अनुसार देश के 10 राज्यों के 90 ज़िले वामपंथ उग्रवाद से प्रभावित हैं. ये राज्य हैं- आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल.
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बीते दिन कई राज्यों के उच्च अधिकारियों के साथ नक्सलवाद को लेकर मीटिंग की थी. इसके बाद छत्तीसगढ़ के नक्सल पीड़ितों के परिजनों को शाह ने संबोधित किया था, जिसमें उन्होंने नक्सलियों के आतंक को जड़ से खत्म करने की तारीख को भी बताया था. एक बार फिर आज अमित शाह वामपंथ उग्रवाद से प्रभावित 7 राज्यों के सीएम के साथ नई दिल्ली के विज्ञान भवन में बैठक करेंगे, इस बैठक में छत्तीसगढ़ के सीएम विष्णु देव साय और एमपी के सीएम मोहन यादव भी शामिल होंगे. जानिए क्या है इसका उद्देश्य.
केंद्रीय गृह मंत्री और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने पिछली बार 06 अक्टूबर, 2023 को वामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ वामपंथी उग्रवाद समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की थी, उस बैठक के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री ने वामपंथी उग्रवाद के खात्मे के संबंध में व्यापक दिशा-निर्देश दिए थे,बैठक को लेकर कहा है कि वर्ष 2010 की तुलना में 2023 में वामपंथी उग्रवाद हिंसा में 72% की कमी आई है, जबकि मौतों में 86% की कमी आई है और आज वामपंथी उग्रवाद अपनी अंतिम लड़ाई लड़ रहा है, वर्ष 2024 में अब तक सशस्त्र वामपंथी उग्रवादियों के खात्मे में सुरक्षा बलों द्वारा अभूतपूर्व सफलता देखी गई है, इस वर्ष अब तक 202 वामपंथी उग्रवादियों का सफाया किया जा चुका है, 2024 के पहले 9 महीनों में 723 वामपंथी उग्रवादियों ने आत्मसमर्पण किया है जबकि 812 को गिरफ्तार किया गया है, 2024 में वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिलों की संख्या घटकर मात्र 38 रह गई है. ऐसे में ये बैठक काफी ज्यादा अहम है.