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बांग्लादेश में रुकेगा हिंदुओं का कत्लेआम, मो. यूनुस को निपटाने के लिए ‘दुश्मन’ से हाथ मिलाएंगी शेख हसीना!

बांग्लादेश रिपोर्ट| बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ जारी हिंसा रुकवाने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीन एक्टिव हो गई हैं. भारत में रह रहीं शेख हसीना ने अपने देश में हिंदू समुदाय के लोगों पर हो रहे हमले के लिए वहां की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा कि मोहम्मद यूनुस जन संहार करवा रहे हैं. इस कारण देश में फिर से अराजकता की स्थिति पैदा हो गई है.

अमेरिका के न्यूयॉर्क में आयोजित अपनी पार्टी अवामी लीग के एक कार्यक्रम को वर्चुअली संबोधित करते हुए शेख हसीना ने कहा कि देश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमले के लिए पूरी तरह मोहम्मद यूनुस जिम्मेदार हैं. उन्होंने कहा कि मेरे ऊपर जन संहार के आरोप लगाए गए. जबकि सच्चाई यह है कि मोहम्मद यूनुस कट्टरपंथी छात्र नेताओं के साथ मिलकर जनसंहार करवा रहे हैं. ये सभी मास्टमाइंड हैं. यहां तक कि तारिक रहमान ने भी लंदन से कहा है कि अगर हत्याएं जारी रहती हैं तो यह सरकार नहीं टिक पाएगी. अब शेख हसीना की ओर से रहमान की तारीफ के कई मायने निकाले जा रहे हैं.

तारिक रहमान पूर्व पीएम और बीएमपी की नेता खालिदा जिया के बेटे हैं. वह एक मामले में दोषी करार दिए जाने के कारण लंदन में निर्वासित जिंदगी जी रहे हैं. हालांकि बीते एक दिसंबर को बांग्लादेश की हाईकोर्ट ने उन्हें उस मामले में बरी कर दिया. बांग्लादेश में इन दिनों हिंदुओं के खिलाफ खूब हिंसा भड़की हुई है. इस्कॉन के एक पुजारी चिन्मय कृष्ण दास को गिरफ्तार कर लिया गया है. उसके बाद हिंसा की कई अन्य घटनाएं हुई है. बीते दिनों भारत आ रहे इस्कॉन के कई पुजारियों को देश से निकलने से रोक दिया गया. इसी संदर्भ में शेख हसीना ने कहा कि आज बांग्लादेश में शिक्षक, पुलिस हर किसी पर हमले हो रहे हैं. हिंदू, बौद्ध और ईसाई लोगों को निशाना बनाया जा रहा है. कई चर्च और मंदिरों पर हमले हुए हैं.

बीएमपी के नेता तारिक रहमान के खिलाफ केस खत्म होने के बाद उनके बांग्लादेश वापसी की उम्मीद बढ़ गई है. वह 16 वर्षों से निर्वासित जिंदगी जी रहे हैं. रहमान के खिलाफ 2018 में एक अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. रहमान के पिता जियाउर रहमान थे. वह बांग्लादेश के राष्ट्रपति थे. उनकी 30 मई 1981 को हत्या कर दी गई थी. शेख हसीना के बांग्लादेश छोड़ने के कुछ दिनों के भीतर बेगम खालिदा जिया को भी रिहा कर दिया गया था.

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