मृणाल मण्डल,जगदलपुर। छतीसगढ़ के जगदलपुर करकापाल स्थित लगभग 700 साल पुरानी आदिशक्ति सती माता मंदिर में हरियाली अमावस्या के अवसर पर हर साल के भांति इस वर्ष भी वार्षिक जात्रा का आयोजित किया गया।इस अवसर पर भक्तों द्वारा आदिशक्ति माता भवानी को कई बकरों की भेंट दी गई।आदिशक्तिमाता भवानी की आशीर्वाद प्राप्त करने बस्तर के अलावा सीमावर्ती दिगर राज्य के श्रद्धालु भी बड़ी संख्या में पहुंचे।
जगदलपुर नगर निगम के अनुकूल देव वार्ड अंतर्गत रेलवे लाइन के किनारे पुराना जंगली तालाब है। जिसे रानमुंडा कहा जाता है। यहां एक कोसम वृक्ष के नीचे आदिशक्ति सत्ती माता की गुड़ी है।इसे सोनारगुड़ी कहा जाता है। आदिशक्ति सती माता की पूजा अर्चना पिछले 700 वर्षों से मालगांव का स्वर्णकार परिवार के द्वारा विधिवत करते आ रहे है।हरियाली अमावस्या के अवसर पर प्रतिवर्ष यहां वार्षिक जात्रा आयोजित किया जाता है। आज सुबह 9 बजे अनुष्ठान प्रारंभ हुई। सबसे पहले माता रानी की प्रतिमा को पंच द्रव्य से स्नान कराया गया। तत्पश्चात मांईजी को विधिवत श्रृंगारित किया गया। आदिशक्ति माता रानी की दर्शन और आशीर्वाद प्राप्त करने जन समुदाय सुबह से ही सोनारगुड़ी पहुंचने लगे थे। दोपहर 12 बजे भक्तो के द्वारा मातारानी की महाआरती की गई। पुजारी अखिलेश स्वर्णकार पर देवी के आरुढ़ होने पर इन्हे देवी की तरह सजाया गया।वार्षिक जात्रा पर आसपास के गांव के भी देवी देवताओं को भी निमंत्रण दे कर आमंत्रित किया गया था। दोपहर 2 बजे मांईजी को भेंट देने का क्रम प्रारंभ हुआ।जिन भक्तों की मनौती पूर्ण हुई है।उन्होंने आदिशक्ति को बकरा भेंट किया गया।मंदिर प्रांगण में तैयार किए गए प्रसाद को घर ले जाकर ग्रहण करना प्रतिबंधित है, इसलिए यहां का प्रसाद ग्रहण करने सैकड़ो भक्त हर साल के भाती इस वर्ष भी श्रद्धा पूर्वक श्रद्धालु गण आदिशक्ति मंदिर पहुंचे थे।