विदेशियों द्वारा वंदे भारत ट्रेन को खरीदने में दिलचस्पी की वजह इसकी लागत है, जहां अन्य देशों में निर्मित समान सुविधाओं वाली ट्रेनों की लागत 160-180 करोड़ रुपये के बीच होती है, वहीं वंदे भारत का निर्माण बहुत कम कीमत पर हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मेक इन इंडिया नीति का पूरी दुनिया में डंका बजने लगा है। तेजस फाइटर के बाद अब वंदे भारत ट्रेन पर दुनियाभर के देशों की नजर है। देश में वंदे भारत एक्सप्रेस तेजी से लोकप्रिय हो रही हैं और कई रूट्स पर इसे चलाने की मांग बढ़ रही है। इस बीच, चिली, कनाडा और मलयेशिया जैसे देशों ने वंदे भारत को खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है। सूत्रों के मुताबिक, वंदे भारत को खरीदने में दिखाई गई दिलचस्पी के कई कारण हो सकते हैं।
इसमें सबसे बड़ा कारण वंदे भारत ट्रेन की लागत है, जहां अन्य देशों में निर्मित समान सुविधाओं वाली ट्रेनों की लागत 160-180 करोड़ रुपये के बीच होती है, वहीं भारत वंदे भारत का निर्माण बहुत कम कीमत पर हुआ है। भारत की वंदे भारत ट्रेन की कीमत 120 से 130 करोड़ रुपये है।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शुक्रवार को कहा कि पिछले 10 सालों में 31000 किलोमीटर से अधिक ट्रैक जोड़े गए हैं। इसे बढ़ाने का लक्ष्य 40000 किलोमीटर तक का है। उन्होंने कहा कि बुलेट ट्रेन का काम पटरी पर है और बहुत तेज गति से आगे बढ़ रहा है। वहीं सुरक्षा चिंताओं के बीच, रेलवे देश भर में अपनी स्वदेशी स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली ‘कवच’ स्थापित करने पर विशेष ध्यान दे रहा। यह लगभग 40000 किलोमीटर नेटवर्क को कवर करेगा और 10000 लोकोमोटिव में स्थापित किया जाएगा। कवच प्रभावी और कम लागत वाली सुरक्षा प्रणाली है