उत्तर प्रदेश ब्यूरो रिपोर्ट। उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा उपचुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के लिए चुनौती सिर्फ़ जीत हासिल करने की नहीं है, बल्कि अपने मुख्य वोट बैंक को बचाए रखने की भी है।
विधानसभा उपचुनाव में जीतना सभी पार्टियों का मकसद है, लेकिन बसपा के लिए चुनौतियां इससे कहीं बढ़कर हैं। बसपा के आगे अपने कोर वोट में दूसरे दलों की सेंधमारी रोकने के साथ ‘बहुजन हिताय’ पार्टी का तमगा बचाए रखने की भी चुनौती है। दरअसल, बसपा प्रमुख मायावती बीते कई दशकों से दलित राजनीति का चेहरा हैं, लेकिन अब धीरे-धीरे जनाधार खिसक रहा है।
पिछले कुछ चुनाव में उनके दलित वोट बैंक में भाजपा और फिर सपा ने सेंध लगाई। अब उनकी सबसे बड़ी चुनौती आजाद समाज पार्टी और उसके नेता चंद्रशेखर हैं। लोकसभा चुनाव में नगीना से जीतने के बाद चंद्रशेखर दलित वर्ग में काफी लोकप्रिय हो रहे हैं और अपनी पार्टी का विस्तार कर रहे हैं।
अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या चंद्रशेखर बसपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन रहे हैं? क्या इसी वजह से बसपा उपचुनाव में अपना पूरा दम लगा रही है? क्या बसपा ‘बहुजन हिताय’ पार्टी का तमगा बचा पाएगी?