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रामगढ़ विधानसभा सीट पर,बीजेपी और कांग्रेस,दोनों ही पार्टियों ने यहां अपनी पूरी ताकत झौंक दी

मेवात संवाददाता रिपोर्ट | रामगढ़ में बीजेपी के सुखवंत सिंह और कांग्रेस के आर्यन जुबेर खान के बीच सीधा मुकाबला माना जा रहा है. यहां कांग्रेस अपनी सीट को बचाने के लिए पूरी जोर लगा रही है वहीं बीजेपी इसे छीनने के लिए नित नई रणनीति बना रही है.

अब क्षेत्र में स्टार प्रचारकों के दौरे शुरू हो चुके हैं. इस चुनाव में भाजपा की तरफ से दिग्गज नेता केंद्रीय मंत्री एवं अलवर सांसद भूपेंद्र यादव और राजस्थान सरकारक के वन मंत्री संजय शर्मा ने कमान संभाल रखी है. वहीं कांग्रेस प्रत्याशी का मोर्चा पूर्व केंद्रीय मंत्री भंवर जितेंद्र सिंह और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली संभाले हुए हैं. रामगढ़ के कांग्रेस विधायक जुबेर खान का बीमारी के चलते निधन हो जाने के कारण यहां उपचुनाव हो रहे हैं.

रामगढ़ का चुनाव हिन्दू और मुसलमान में बंट जाता है
रामगढ़ की सीमा हरियाणा और भरतपुर जिले से लगती है. यह इलाका ओएलएक्स ठगी, टटलूबाजी, ऑनलाइन ठगी , गौतस्करी और साइबर ठगी के लिए बदनाम हो चुका है. इसके साथ ही लव जिहाद और धर्म परिवर्तन जैसे मुद्दे भी यहां खासकर चुनावों में निकलकर सामने आते रहे हैं. इसलिए रामगढ़ का चुनाव हिन्दू और मुसलमान में बंट जाता है.

आर्यन खान पहली बार चुनाव मैदान में उतरे हैं
कांग्रेस ने विधायक जुबेर खान के बेटे आर्यन खान को चुनाव मैदान में उतार रखा है. आर्यन खान पहली बार चुनाव मैदान में उतरे हैं. लेकिन उनके पास राजनीतिक विरासत है. इसके साथ कांग्रेस के बड़े और अनुभवी नेताओं का साथ है. कांग्रेस यहां सहानुभूति की नैया पर सवार है. आर्यन अपने प्रचार में भाजपा पर धर्म और जातिवाद की राजनीति के आरोप लगा रहे हैं. वे जीत के बाद क्षेत्र में रोजगार और पानी की समस्या के समाधान का भी आश्वासन दे रहे हैं.

सुखवंत सिंह ने पिछली बार 74 हजार वोट प्राप्त किए थे
भाजपा के कट्टर हिंदूवादी नेता ज्ञानदेव आहूजा रामगढ़ से तीन बार विधायक रहे हैं. रामगढ़ सीट पर 1990 के बाद से कभी जुबेर या उनका परिवार का या फिर आहूजा का कब्जा रहा है. बीजेपी ने इस बार चुनाव में सुखवंत सिंह को अपना प्रत्याशी बना रखा है. सुखवंत सिंह ने पिछली बार यहां बीजेपी से बगावत कर 74 हजार वोट प्राप्त किए थे. लेकिन जुबेर खान से वे करीब 19 हजार वोटों से हार गए थे.

अभी कई सियासी समीकरण बनेंगे और बिगड़ेंगे
उनको पूर्व में मिले वोटों को देखते हुए बीजेपी ने इस बार उन पर दांव चला है. सुखवंत सिंह अपने प्रचार में डबल इंजन की सरकार का बार-बार जिक्र करते हैं. वे क्षेत्र के विकास के लिए कड़ी से कड़ी जोड़ने की बात करते हैं. इसके साथ ही वे इस बार अपनी जीत का दावा भी कर रहे हैं. बहरहाल अभी मतदान में पांच दिन बाकी हैं. तब तक रामगढ़ सीट पर कई सियासी समीकरण बनेंगे और बिगड़ेंगे.

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