दिल्ली ब्यूरो रिपोर्ट | दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने साफ कर दिया है कि अगर दिल्ली में यही स्थिति बनी रही, तो मजबूर होकर आपातकाल घोषित करना पड़ेगा।
उधर दिल्ली बीजेपी भी राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपते हुए दिल्ली सरकार को बर्खास्त करने की मांग की है, जिसे राष्ट्रपति ने गृह मंत्रालय के पास भेज दिया है। दिल्ली में अगले साल चुनाव होने वाला है, लेकिन उससे पहले आप सरकार की मुश्किलें बढ़ी हुई है। चलिए बताते हैं कोर्ट ने ऐसा क्यों कहा है।
दिल्ली सरकार पर क्यों भड़की कोर्ट
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दिल्ली की राज्य सरकार ने पिछले 7 महीने से वन स्टॉप सेंटर (OSC) के कर्मचारियों को उनका वेतन नहीं दिया है। केंद्र सरकार उन कर्मचारियों को वेतन देने के लिए पैसे देती है, लेकिन राज्य सरकार ने पिछले 7 महीने से उन कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया है। इसी पर दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि अगर दिल्ली सरकार में कोई वित्तीय आपातकाल है, तो बताइए हम दिल्ली में इमरजेंसी घोषित कर देते हैं।
क्या है वन स्टॉप सेंटर?
कोर्ट ने 28 सितंबर को मामले में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि राज्य सरकार कर्मचारियों का पैसा इस तरह दबा कर नहीं रख सकती है। सरकार उम्मीद करती है कि कर्मचारी 24 घंटे काम करे, लेकिन उसे वेतन नहीं मिले, तो वे भला क्यों काम करेंगे। इसी को लेकर कोर्ट ने दिल्ली सरकरा को फटकारा और जल्द ही उन कर्मचारियों का वेतन जारी करने के लिए कहा है। बताते चलें कि हिंसा और यौन उत्पीड़न की शिकार महिलाओं की मदद के लिए दिल्ली में 11 वन स्टॉप सेंटर है, इसी के कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया जा रहा है। उन कर्मचारियों की सैलरी 40 हजार रुपये प्रति माह है।
NGO ने कोर्ट में रखी शिकायत
बताते चलें कि दिल्ली सरकार से नाराजगी मनोनीत चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस तुषार राव गेडेला की बेंच ने जाहिर की है। NGO ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ की ओर से पेश वकील प्रभु सहाय कौर ने कोर्ट में कहा कि OSC के कर्मचारियों को पिछले 7 महीनों से वेतन नहीं मिला है। उन कर्मचारियों से 24 घंटे काम लिया जाता है, लेकिन उन्हें वेतन नहीं दिया जा रहा है। कोर्ट की फटकार के बाद दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि मैं कोर्ट को आश्वासन देता हूं कि उन कर्मचारियों को जल्द ही वेतन मिल जाएगा।