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वन्य तस्कर और माफिया बख्शे नहीं जाएंगे:मंत्री केदार कश्यप

छतीसगढ़ ब्यूरो रिपोर्ट। वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री केदार कश्यप ने कहा है कि राज्य में वन्य तस्करी, लकड़ी की अवैध कटाई और परिवहन में संलिप्त माफियाओं को किसी भी हालत में बख्शा नहीं जाएगा।इन पर शिकंजा कसा जा रहा है।वनों की अवैध कटाई और लकड़ी के अवैध कारोबार संलिप्त लोगों के विरूद्ध संघन कार्रवाई का अभियान शुरू किया गया है। उन्होंने कहा कि इसको प्रोत्साहित और संरक्षण देने वाले लोगों की भी पहचान कर उनके विरूद्ध कड़ी कार्रवाई विभाग द्वारा की जाएगी। उन्होंने कहा कि वनों का संरक्षण हम सबकी जिम्मेदारी है।पर्यावरण को बेहतर रखने के लिए वनों का बचाव जरूरी है।

वनमंत्री कश्यप आज राजधानी रायपुर स्थित पंडित दीनदयाल ऑडिटोरियम साइंस कॉलेज में आयोजित राष्ट्रीय वन शहीद दिवस कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने इस मौके पर देश में वन और वन्य जीव की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर करने वाले वीर शहीदों को का पुण्य स्मरण करते हुए कहा कि वन माफिया एवं वन्य तस्करी में संलिप्त लोगों को माफ नहीं किया जाएगा। वन की अवैध कटाई को रोकने के लिए बाह्य शक्ति से ज्यादा आंतरिक शक्तियों से लड़ने की आवश्यकता है। ऐसी शक्तियों को हमें रोकना होगा। उन्होंने कहा कि आज इस बात पर चिंतन करना चाहिए कि हम आने वाली पीढ़ी को क्या देकर जा रहे हैं। देश में वन एवं पर्यावरण को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू किए गए ‘‘एक पेड़ मां के नाम अभियान’’ की सराहना की और इसके लिए उन्हें धन्यवाद ज्ञापित किया।वनमंत्री कश्यप ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य में वन एवं पर्यावरण के संरक्षण तथा हरियाली को और अधिक बढ़ाने के लिए पूरे जोर-शोर से ‘‘एक पेड़ मां के नाम’’ अभियान के तहत पौधों का रोपण किया जा रहा है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के मार्गदर्शन में इस अभियान ने राज्य में जनआंदोलन का रूप ले लिया है।शहर से लेकर गांव तक जहां-जहां भी सरकारी जमीन उपलब्ध है, वहां वृहद पैमाने पर वृक्षारोपण एवं उसके संरक्षण का काम पूरी गंभीरता से किया जा रहा है। लोग बढ़चढ़कर इस अभियान में न सिर्फ हिस्सा ले रहे हैं अपनी मां, पूर्वजों एवं देवी-देवताओं के नाम पर भी पेड़ लगा रहे हैं। छत्तीसगढ़ में वन विभाग लगातार इस दिशा में बेहतर कार्य कर रहा है। इस अभियान के तहत अब तक लगभग 7 करोड़ वृक्षों का रोपण किया गया है। महतारी वंदन योजना से लाभान्वित 70 लाख माताओं-बहनों को इस अभियान से जोड़ा गया है।वनमंत्री कश्यप ने कहा कि पौराणिक काल से भी हमारे वनों का ऐतिहासिक महत्व रहा है। उन्होंने कहा कि वनवासी नेताओं ने आजादी के पहले से वनांचल में वनों को बचाने के लिए आंदोलन किया था। उन्होंने कहा कि शहीद वीर गुण्डाधुर ने अंग्रेजों से कहा था कि यदि एक पेड़ काटोगे, तो हम एक सर काटेंगे का नारा दिया था, जिसका वनांचल के वनवासियों ने समर्थन किया। हमारी सरकार वन एवं वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। उसे सुदृढ़ करने के लिए वनरक्षक सहित अन्य पदों की भर्ती की प्रक्रिया की जा रही है। वनवासी जंगल को अपना घर समझते हैं और उसकी रक्षा करते हैं। कोई बाहरी व्यक्ति या तस्कर अवैध कटाई के लिए उन्हें प्रेरित करता है ऐसे लोगों को बख्शा नहीं जाएगा। कार्यक्रम में वनमंत्री कश्यप ने राष्ट्रीय वन कर्मचारी महासंघ द्वारा प्रस्तावित मांग को पूरा करने का आश्वासन देते हुए कहा कि स्वीकृत पदों का सेटअप का प्रस्ताव सामान्य प्रशासन विभाग को भेज दिया गया है।कार्यक्रम को विधायक पुरन्दर मिश्रा और प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख व्ही. श्रीनिवास राव ने भी सम्बोधित किया। कार्यक्रम में अखिल भारतीय वन अधिकारी महासंघ की स्मारिका का विमोचन किया गया। इस अवसर पर संघ के अध्यक्ष सतीष मिश्रा, महासचिव कमल यादव, कोषाध्यक्ष जगबन्धु पात्रा सहित 17 विभिन्न प्रदेश के अखिल भारतीय वन अधिकारी-कर्मचारी महासंघ के पदाधिकारी उपस्थित थे।यहां यह उल्लेखनीय है कि आज सुबह राजीव स्मृति वन (ऊर्जा पार्क) में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने वन शहीदों की स्मृति में आयोजित कार्यक्रम में वन शहीद स्मारक का अनावरण किया और वन शहीदों को श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर अखिल भारतीय वन अधिकारी-कर्मचारी महासंघ ने वनमंत्री केदार कश्यप को प्रतीक चिन्ह और शॉल भेंटकर सम्मानित किया।

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