प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आसियान शिखर सम्मेलन में नहीं जाने के तार अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से जोड़े जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि पीएम मोदी के मलेशिया नहीं जाने की वजह ट्रंप के साथ पाकिस्तान के मुद्दे पर संभावित चर्चा थी। हालांकि, इसे लेकर भारत सरकार की ओर से आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है। खास बात है कि यह सम्मेलन ऐसे समय पर हो रहा था, जब टैरिफ के मुद्दे पर भारत और अमेरिका के रिश्ते तनावपूर्ण बने हुए हैं।
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, मामले के जानकार बताते हैं कि अधिकारियों की आशंका थी कि ट्रंप भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर का दावा दोहरा सकते थे। इधर, भारत साफ कर चुका है कि पाकिस्तान के डीजीएमओ के अनुरोध के बाद दोनों पक्षों ने संघर्ष विराम का फैसला लिया था। वहीं, ट्रंप का दावा है कि उन्होंने व्यापार का हवाला देकर दोनों मुल्कों के बीच संघर्ष को रोका था।
खास बात है कि बिहार में विधानसभा चुनाव हैं और रिपोर्ट के अनुसार, जानकार बताते हैं कि पीएम मोदी मलेशिया में ट्रंप से मुलाकात का जोखिम नहीं उठाना चाहते थे। ब्लूमबर्ग को मामले के जानकारों ने बताया कि बिहार में पीएम मोदी भारतीय जनता पार्टी का प्रमुख चेहरा हैं और अगर ट्रंप खासतौर से लेकर पाकिस्तान को लेकर कोई बयान दे देते, तो पीएम के विरोधी इसका इस्तेमाल चुनाव में कर सकते थे।
साल 2014 में सरकार बनाने के बाद से ही पीएम मोदी साल 2022 को छोड़कर सभी बैठकों में शामिल हुए हैं। कोविड के कारण 2020 और 2021 में शिखर सम्मेलन वर्चुअल तरीके से आयोजित किए गए थे। रविवार को आसियान शिखर सम्मेलन में उन्होंने वर्चुअल तरीके से शिरकत की और भाषण दिया।
मंगलवार को ही ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान में सीजफायर में अपनी भूमिका की बात दोहराई थी। उन्होंने कहा था, ‘मैंने प्रधानमंत्री मोदी से कहा था और मैंने बहुत अच्छे आदमी और बहुत बढ़िया व्यक्ति प्रधानमंत्री और पाकिस्तान में फील्ड मार्शल से कहा था कि देखिए अगर आप लड़ेंगे, तो हम आपके साथ कोई व्यापार नहीं कर सकेंगे।’ ट्रंप के अनुसार, जवाब आया, ‘नहीं, नहीं, नहीं। एक चीज का दूसरे से कोई लेना देना नहीं है।’
एक ओर जहां भारत ने साफ किया है कि संघर्ष विराम द्विपक्षीय था और इसमें किसी तीसरे देश की कोई भूमिका नहीं थी। वहीं, पाकिस्तान ने सीजफायर का क्रेडिट ट्रंप को दिया है। साथ ही पाकिस्तान ने ट्रंप ने नोबेल पुरस्कार के लिए नॉमिनेट भी कर दिया है। खास बात है कि अमेरिका ने भारत की तुलना में पाकिस्तान पर बेहद कम टैरिफ लगाया है।










