नेशनल डेस्क। आज से देश में तीन नए आपराधिक कानून लागू हो जा रहें,जिससे भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में काफी बदलाव देखनें को मिलेगा और औपनिवेशिक काल के कानूनों का अंत हो जाएगा,भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम ब्रिटिश काल के क्रमश: भारतीय दंड संहिता (1860), दंड प्रक्रिया संहिता (1898) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (1872),का स्थान लेंगे,नए कानूनों से एक आधुनिक न्याय प्रणाली स्थापित होगी जिसमें ‘जीरो एफआईआर’, पुलिस में ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराना, ‘एसएमएस’ (मोबाइल फोन पर संदेश) के जरिये समन भेजने जैसे इलेक्ट्रॉनिक माध्यम और सभी जघन्य अपराधों के वारदात स्थल की अनिवार्य वीडियोग्राफी जैसे प्रावधान शामिल होंगे।
भारतीय दंड संहिता में 511 धाराएं थीं, लेकिन भारतीय न्याय संहिता में धाराएं 358 हैं. दरअसल ‘ओवरलैप’ धाराओं का आपस में विलय कर दिया गया तथा उन्हें सरलीकृत किया गया है. जिससे भारतीय दंड संहिता की 511 धाराओं के मुकाबले इसमें केवल 358 धाराएं होंगी।
जीरो एफआईआर’ से अब कोई भी व्यक्ति किसी भी पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज करा सकता है, भले ही अपराध उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं हुआ हो. इससे कानूनी कार्यवाही शुरू करने में होने वाली देरी खत्म होगी और मामला तुरंत दर्ज किया जा सकेगा।
नए कानूनों के तहत आपराधिक मामलों में फैसला मुकदमा पूरा होने के 45 दिन के भीतर आएगा और पहली सुनवाई के 60 दिन के भीतर आरोप तय किए जाएंगे. दुष्कर्म पीड़िताओं का बयान कोई महिला पुलिस अधिकारी उसके अभिभावक या रिश्तेदार की मौजूदगी में दर्ज करेगी और मेडिकल रिपोर्ट सात दिन के भीतर देनी होगी. नए कानूनों में संगठित अपराधों और आतंकवाद के कृत्यों को परिभाषित किया गया है, राजद्रोह की जगह देशद्रोह लाया गया है और सभी तलाशी तथा जब्ती की कार्रवाई की वीडियोग्राफी कराना अनिवार्य कर दिया गया है।
आपराधिक मामलो का फैसला, सुनवाई समाप्त होने के 45 दिनों के अंदर सुनाया जाना चाहिए. पहली सुनवाई के 60 दिनों के अंदर आरोप तय करने का प्रावधान है. सभी राज्य सरकारों को गवाहों की सुरक्षा और सहयोग सुनिश्चित करने के लिए गवाह सुरक्षा योजनाओं को लागू करना चाहिए।
नए कानून महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों को लेकर कड़े नियम बनाये गए हैं. बच्चे को खरीदना या बेचना जघन्य अपराध माना जाता है, जिसके लिए कड़ी सजा का प्रावधान है. नाबालिग के साथ सामूहिक बलात्कार के लिए मृत्युदंड या आजीवन कारावास की सजा हो सकती है।
कानून में अब उन मामलों के लिए दंड का प्रावधान है, जहां शादी के झूठे वादे करके महिलाओं को छोड़ दिया जाता है।
लिंग” की परिभाषा में अब ट्रांसजेंडर लोग भी शामिल किया गया है, जो समानता को बढ़ावा देता है. महिलाओं के खिलाफ कुछ अपराधों के लिए, पीड़िता के बयान को यथासंभव महिला मजिस्ट्रेट द्वारा दर्ज किया जाना चाहिए. यदि उपलब्ध न हो, तो पुरुष मजिस्ट्रेट को महिला की उपस्थिति में बयान दर्ज करना चाहिए,बलात्कार से संबंधित बयान ऑडियो-वीडियो माध्यम से दर्ज किए जाने चाहिए, जिससे पारदर्शिता सुनिश्चित हो और पीड़िता को सुरक्षा मिले।
महिलाओं के खिलाफ अपराध होने पर पीड़ितों को 90 दिनों के अंदर नियमित अपडेट हासिल करने और पीड़ितों को मुफ्त प्राथमिक उपचार या चिकित्सा उपचार प्रदान कराना जरूरी है।
अब गंभीर अपराधों के लिए फोरेंसिक विशेषज्ञों का घटनास्थल पर जाना और साक्ष्य एकत्र करना अनिवार्य है।