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छत्तीसगढ़ पुलिस में ‘महासमुंद SP’ की कुर्सी को लेकर मचा घमासान

छत्तीसगढ़ पुलिस के भीतर इन दिनों सबसे चर्चित, सबसे प्रतिष्ठित और कहा जा सकता है कि सबसे लाभदायक कुर्सी बन चुकी है—महासमुंद जिले के पुलिस अधीक्षक (एसपी) की पोस्टिंग।
इस पर कौन बैठेगा, यह सवाल अब सत्ता गलियारों से लेकर पुलिस मुख्यालय (PHQ) तक गूंज रहा है।
राज्य के वरिष्ठ खोजी पत्रकार मुकेश एस सिंह के वायरल ट्वीट “महासमुंद ज़िले के नये पुलिस अधीक्षक का स्वागत है, मगर कौन होगा वो SP?” ने इस सस्पेंस को और गहरा कर दिया है।

ट्वीट में साझा की गई अंदरूनी जानकारियों और ब्यूरोक्रेटिक हलचल को लेकर अब पूरे पुलिस महकमे और राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है।
यह पोस्टिंग अचानक इस कदर ‘हॉट सीट’ कैसे बन गई, इसका जवाब खुद अफसर भी नहीं ढूंढ पा रहे।

🔹 एक अनार और आठ बीमार

सूत्र बताते हैं कि महासमुंद एसपी की कुर्सी के लिए इस वक्त आठ आईपीएस अधिकारी रेस में हैं — जिनमें चार RR यानी Regular Recruit (सीधे यूपीएससी से चयनित) और चार SPS (Promotee IPS) यानी राज्य सेवा से प्रमोशन पाकर आईपीएस बने अधिकारी शामिल हैं।
यही वजह है कि अब इसे पुलिस विभाग के भीतर ‘RR बनाम SPS’ की जंग कहा जा रहा है।

🔹 आरआर (सीधे भर्ती आईपीएस) वर्ग के दावेदार

इस सूची में शामिल हैं –
2013 बैच के आईपीएस मोहित गर्ग (AIG, पुलिस मुख्यालय नवा रायपुर),
2013 बैच के आईपीएस जितेन्द्र शुक्ला (कमांडेंट, 5वीं बटालियन, सीएएफ जगदलपुर),
2014 बैच के आईपीएस चंद्रमोहन सिंह (डायरेक्टर, ट्रेनिंग एंड ऑपरेशन्स, फायर एंड इमरजेंसी सर्विसेज, रायपुर)
और 2017 बैच के आईपीएस सुनील शर्मा (एडीसी टू गवर्नर)।
ये चारों अपने अनुभव, ट्रेनिंग और ग्राउंड वर्क के कारण आरआर कैम्प के प्रमुख चेहरे माने जा रहे हैं।

🔹 एसपीएस (प्रमोटेड आईपीएस) वर्ग के दावेदार

वहीं, एसपीएस कैम्प से रेस में शामिल हैं –
वेदव्रत सिर्मौर (संभावित 2017 बैच, एमडी, छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल),
श्वेता श्रीवास्तव सिन्हा (संभावित 2017 बैच, अधीक्षक, रेलवे पुलिस),
राजेश कुकरजा (कमांडेंट, प्रथम बटालियन, सीएएफ भिलाई, दुर्ग)
और 2014 बैच के आईपीएस मनोज खेलारी (कमांडेंट, द्वितीय बटालियन, सीएएफ सकरी, बिलासपुर)।
इनके नामों ने भी पुलिस मुख्यालय के गलियारों में नई हलचल पैदा कर दी है।

🔹 सबसे ‘लाभदायक’ पोस्टिंग का राज

पुलिस मुख्यालय में इस समय महासमुंद एसपी की कुर्सी को लेकर जो उत्सुकता है, उसके पीछे सिर्फ़ प्रतिष्ठा या चुनौती नहीं, बल्कि कुछ और बातें भी हैं।
यह जिला राजधानी से सटा हुआ, प्रशासनिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण और राजनीतिक तौर पर संवेदनशील इलाका माना जाता है।
इसके भौगोलिक और रणनीतिक कॉरिडोर से जुड़े कारक इस पोस्टिंग को ‘सबसे प्राइम सीट’ बना चुके हैं।

अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि यह पोस्टिंग न केवल प्रतिष्ठा की लड़ाई है बल्कि प्रभाव, पहुँच और संभावनाओं का भी प्रतीक बन चुकी है।
यही वजह है कि अब तक आठ अधिकारी इस एक कुर्सी के लिए अपनी दावेदारी बनाए हुए हैं।

🔹 कौन किसके समर्थन में

सूत्रों का कहना है कि राज्य शासन के Who’s Who और निर्णय लेने वाले कई प्रभावशाली लोग खुद भी इस चयन को लेकर बंटे हुए हैं।
कुछ शीर्ष राजनैतिक चेहरे SPS अधिकारियों का समर्थन कर रहे हैं, जबकि कुछ बेहद प्रभावशाली ग़ैर-राजनीतिक व्यक्ति एक RR अधिकारी के पक्ष में माने जा रहे हैं।
इस दबाव और लॉबिंग ने पूरी प्रक्रिया को जटिल बना दिया है।
अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या मेरिट और क्लीन इमेज को पीछे छोड़कर केवल प्रभाव और दबाव से फैसला होगा?

🔹 ‘SKT के बहुत क़रीबी’ का दूर का रिश्ता

इस पूरे घटनाक्रम में सबसे दिलचस्प मोड़ तब आया जब सूत्रों ने यह इशारा किया कि महासमुंद एसपी की पोस्टिंग का लिंक कहीं न कहीं 600 करोड़ रुपए के कोयला घोटाले से जुड़ रहा है।
सूत्रों का दावा है कि यह पोस्ट अब “सबसे कठिन और संवेदनशील असाइनमेंट” मानी जा रही है।
अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक,

“Insiders hint that one of SKT के बहुत क़रीबी appears to share a distant yet discernible link with this posting.”

यानी एसकेटी के बहुत क़रीबी का भी इस पोस्टिंग से “दूर का रिश्ता जुड़ता दिख रहा है”, जिसने पीएचक्यू और सत्ता गलियारों दोनों में हलचल बढ़ा दी है।
यह खुलासा इतना क्रिप्टिक है कि किसी का नाम लिए बिना ही पुलिस सर्किल और मीडिया रूम्स में सन्नाटा फैल गया।

🔹 वरिष्ठ आईपीएस की बेबाक राय

एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी (आईजी रैंक) ने नाम न छापने की शर्त पर कहा,

“अगर हालात ऐसे ही हैं, तो किसी को भी नियुक्त न किया जाए। बेहतर होगा कि डीजीपी किसी कम प्रोफाइल लेकिन ईमानदार और काबिल अधिकारी को चुने और इस पूरे विवाद पर विराम लगाए।”

इस टिप्पणी ने विभागीय चर्चा को और तीखा बना दिया है।

🔹 मुकेश एस सिंह के ट्वीट से फैला असर
पत्रकार मुकेश एस सिंह के इस ट्वीट ने जैसे ही सोशल मीडिया पर रफ्तार पकड़ी, राज्यभर के पुलिसकर्मी, प्रशासनिक अफसर और मीडिया हाउस इस सस्पेंस से जुड़ गए।
ट्वीट में लिखे छह हाइलाइटर पॉइंट्स अब चर्चा का विषय हैं —
“एक अनार और आठ बीमार” वाली लाइन तो अब विभाग के भीतर ट्रेंडिंग फ्रेज बन चुकी है।

उनके ट्वीट के बाद कई वरिष्ठ अफसरों ने ऑफ रिकॉर्ड यह स्वीकार किया कि महासमुंद एसपी की कुर्सी पर सिर्फ़ ट्रांसफ़र नहीं, बल्कि पावर इक्वेशन और नेटवर्क इन्फ्लुएंस का खेल चल रहा है।

🔹 अंदरखाने में सस्पेंस बरकरार

सभी अटकलों के बावजूद फिलहाल इस पर अंतिम आदेश नहीं हुआ है।
राज्य पुलिस मुख्यालय में फाइल अब सीएम सचिवालय और गृह विभाग के बीच घूम रही है।
सूत्रों के मुताबिक, “Suspense अब भी बरकरार है, लेकिन इसकी चर्चा अब पूरे पुलिस नेटवर्क और मीडिया न्यूज़रूम तक पहुँच चुकी है।”

महासमुंद एसपी की कुर्सी अब केवल एक प्रशासनिक नियुक्ति नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ पुलिस के भीतर चल रहे शक्ति-संतुलन, प्रभाव और साख की लड़ाई बन चुकी है।
जहाँ एक ओर युवा अधिकारी मेहनत और प्रोफेशनलिज्म के दम पर पहचान बना रहे हैं, वहीं कुछ नियुक्तियाँ अब गॉसिप और पॉलिटिकल कनेक्शन का शिकार हो रही हैं।

राज्य की जनता और पुलिस दोनों अब इंतज़ार में हैं कि क्या यह “महासमुंद का सस्पेंस” आने वाले दिनों में खत्म होगा या यह फाइल एक बार फिर राजनीति की भूलभुलैया में उलझ जाएगी।

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