भारतीय टीम का कोच 2024 में गौतम गंभीर को बनाया गया था। गंभीर को राहुल द्रविड़ के बाद भारतीय टीम का मुख्य कोच बनाया गया था। हालांकि, जब से गौतम गंभीर मुख्य कोच बने है तब से भारतीय टेस्ट टीम का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है।
गौतम गंभीर के कार्यभार में अभी तक भारतीय टीम ने जितने टेस्ट मैच जीते है, उससे ज्यादा टेस्ट मैचों में हार का सामना करना पड़ा है। गंभीर के कार्यकाल में भारत ने 7 टेस्ट जीते हैं। जबकि 9 टेस्ट मैचों में हार का सामना करना पड़ा है। उनके कोचिंग में भारतीय टीम ने बांग्लादेश और वेस्टइंडीज को ही हराने में सफल रही है।
गौतम गंभीर का तकनीक उन्हीं पर भारी पड़ रहा है। टेस्ट क्रिकेट में भी वो टी20 की तरह टीम का चयन कर रहे हैं और विशेषज्ञों की जगह ऑलराउंडर को तवज्जो दे रहे हैं। इसी रणनीति ने हालात और बिगाड़ दिया है। टीम में लगातार बदलाव और सरफराज खान और साईं सुदर्शन जैसे खिलाड़ियों को समर्थन न मिलने का तो जिक्र ही नहीं हो रहा है।।
क्या कहते हैं आंकड़े?
यह सिर्फ किसी व्यक्ति की राय नहीं है बल्कि आंकड़े भी यही बता रहे हैं। आंकड़े की बात की जाए, तो गंभीर के नेतृत्व में भारत ऐतिहासिक रूप से सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ईएसपीएनक्रिकइन्फो के अनुसार, पिछले 13 महीनों में घरेलू मैदान पर भारत को चार हार मिली है। जबकि सिर्फ दो जीत दर्ज करने में सफल रहे हैं।
टेस्ट में सबसे बुरा दौर से गुजर रही भारतीय टीम
53 सालों में भारतीय टीम का यह प्रदर्शन सबसे खराब दौर से गुजर रहा है। पिछली बार भारतीय टीम घर में छह में से चार टेस्ट हार गई थी। ऐसा 1969-72 के दौरान हुआ था। जब ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के खिलाफ भारतीय टीम को हार मिली थी। उस समय भारतीय टीम के पास ज्यादातर मैचों में मुख्य कोच भी नहीं थे।
कुछ महत्वपूर्ण बातें ध्यान देने योग्य हैं। गौतम गंभीर के कोच बनने के बाद भारतीय टेस्ट टीम में कई बड़े बदलाव हुए। विराट कोहली, रोहित शर्मा और रविचंद्रन अश्विन ने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले लिया। जिसके बाद भारतीय टीम ने शुभमन गिल को कप्तान बनाया। भारतीय टीम परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है।
इसके अलावा, भारत कुछ प्रमुख खिलाड़ियों की चोटों और परिस्थितियों के कारण थोड़े बदकिस्मत रहे हैं। जसप्रीत बुमराह के कार्यभार की समस्या और ईडन गार्डन्स में गिल की चोट इसका उदाहरण हैं। टीम को हर प्रारूप में लगातार सफलता नहीं मिल रही है और अब दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 124 रनों के छोटे लक्ष्य का पीछा करने में भी टीम आत्मविश्वास खोती दिख रही है, जो भारत में बहुत कम देखने को मिलता है।










