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जम्मू-कश्मीर

चुनाव तो शांति से हो गए लेकिन हमारे 700 जवान भूखे सफ़र करने को मजबूर होते हुए नजर आए ।

CRPF NEWS . देश का सबसे बड़ा केंद्रीय अर्धसैनिक बल ‘सीआरपीएफ’, जिसके जवानों की संख्या लगभग 3.25 तीन लाख है, वे विभिन्न प्रदेशों में चुनावी प्रक्रिया को शांतिपूर्ण एवं निष्पक्ष तरीके से संपन्न कराते हैं। इस दौरान जवानों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। खास बात ये है कि सीआरपीएफ जवान छोटी मोटी समस्याओं पर आसानी से बोलते भी नहीं हैं, लेकिन जब बात पेट की आती है तो उन्हें सामने आना पड़ता है। जवानों को जहां कहीं भी चुनावी ड्यूटी के लिए भेजा जाता है, वहां कई बार मूलभूत सुविधाएं तक मुहैया नहीं कराई जाती। ऐसे कई मामले देखने को मिले हैं।

ताजा मामला, जम्मू कश्मीर के सांबा से चली स्पेशल ट्रेन 00328 का है। इसमें सीआरपीएफ की 10 कंपनियां, (लगभग 700 सौ जवान) सवार थीं। रायपुर जा रही गाड़ी में जवानों को 48 घंटे तक डिनर मुहैया नहीं कराया गया। जवानों ने केवल दो वक्त के ब्रेक फास्ट में ही काम चलाया। उनके साथ रेलवे की खानपान एजेंसी की तरफ से भद्दा मजाक किया गया। अगले स्टेशन पर मिलेगा खाना, ये कह कर उन्हें भूखे पेट यात्रा करने के लिए मजबूर किया जाता रहा। सीआरपीएफ जवानों को ला रही यह स्पेशन ट्रेन गुरुवार को दोपहर बाद रायपुर पहुंची है।

विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक, इस स्पेशल ट्रेन को सात अक्तूबर को सांबा से चलना था। किन्हीं कारणों से यह गाड़ी लेट हो गई। इसके बाद 8 अक्तूबर को सुबह तीन बजे ये गाड़ी रायपुर के लिए रवाना हुई। सांबा से चलने के बाद जवानों को अंबाला स्टेशन पर ब्रेकफास्ट मुहैया कराया गया। इसके बाद उन्हें पूरा दिन कुछ नहीं मिला। उन्हें बताया गया कि दिल्ली रेलवे स्टेशन पर लंच मिलेगा। गाड़ी शाम को आठ बजे पहुंची, ऐसे में लंच का समय तो निकल गया। दिल्ली में उन्हें जो खाना देने का प्रयास हुआ, उसकी क्वालिटी बहुत घटिया थी। जवानों के मुताबिक, वह खाना सुबह का बना हुआ था। ऐसे में जवानों ने खाना लेने से मना कर दिया। पहले भी इस तरह के मामले आए हैं कि रेलवे एजेंसी के लोग ऐसी स्थिति में बल के अफसरों को बढ़िया खाना खिलाकर अपने पक्ष में करने का प्रयास करते हैं। उन्हें मिठाई आदि का भी लोभ लालच देते हैं। ये सब इसलिए किया जाता है कि यह मामला आगे न बढ़े। अफसर, अपने जवानों को डरा धमका कर शांत कर दें। ट्रेन में मौजूद सीआरपीएफ अधिकारियों के साथ भी यही सब करने का प्रयास हुआ। चूंकि यहां पर बात जवानों की थी तो अफसरों ने उन्हें दो टूक शब्दों में कह दिया कि जवानों को समय पर और बढ़िया क्वालिटी वाला खाना चाहिए। अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो मामले की शिकायत भी होगी। दिल्ली रेलवे स्टेशन पर संबंधित एजेंसी के कर्मचारियों से फ्रेश खाना मुहैया कराने का आग्रह किया गया। रेलवे की तरफ से जवाब दिया गया कि ये संभव नहीं है। हमने अपने उच्च अधिकारियों से बात कर ली है कि अब आपको आगरा में बढ़िया खाना मिलेगा। उन्होंने फोन नम्बर भी दिया

पहले भी इस तरह के मामले आए हैं कि रेलवे एजेंसी के लोग ऐसी स्थिति में बल के अफसरों को बढ़िया खाना खिलाकर अपने पक्ष में करने का प्रयास करते हैं। उन्हें मिठाई आदि का भी लोभ लालच देते हैं। ये सब इसलिए किया जाता है कि यह मामला आगे न बढ़े। अफसर, अपने जवानों को डरा धमका कर शांत कर दें। ट्रेन में मौजूद सीआरपीएफ अधिकारियों के साथ भी यही सब करने का प्रयास हुआ। चूंकि यहां पर बात जवानों की थी तो अफसरों ने उन्हें दो टूक शब्दों में कह दिया कि जवानों को समय पर और बढ़िया क्वालिटी वाला खाना चाहिए। अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो मामले की शिकायत भी होगी। दिल्ली रेलवे स्टेशन पर संबंधित एजेंसी के कर्मचारियों से फ्रेश खाना मुहैया कराने का आग्रह किया गया। रेलवे की तरफ से जवाब दिया गया कि ये संभव नहीं है। हमने अपने उच्च अधिकारियों से बात कर ली है कि अब आपको आगरा में बढ़िया खाना मिलेगा। उन्होंने फोन नम्बर भी दिया। इसके बाद भूखे पेट ही जवान आगे चल पड़े। आगरा में खाना मुहैया कराने के लिए जिस व्यक्ति का फोन, सीआरपीएफ अफसरों को दिया गया था, वह फोन ही नहीं मिल सका। कई बार फोन ट्राई किया गया। 9 अक्तूबर को झांसी में ब्रेकफास्ट दिया गया। लंच और डिनर का अंदाजा लगा सकते हैं। तब तक सीआरपीएफ जवानों को भूखे पेट रहना पड़ा। इसके बाद रात को कटनी ‘मध्यप्रदेश’ में रात 12 बजे डिनर मिला। सूत्रों ने बताया कि इस मामले में जब भी रेलवे एजेंसी के किसी अधिकारी/ठेकेदार से बातचीत की जाती तो वे पल्ला झाड़ लेते। एक दूसरे पर जिम्मेदारी डालने लगते। वे कहते कि आप आगे बात कर लें। ट्रेन लेट है, इसलिए अब तो खाना नहीं मिल पाएगा। अब कोई शेड्यूल नहीं है। रेल में लंच और डिनर तो शेड्यूल पर ही मिलता है। जवानों को अब अगले दिन की चिंता थी। जब डिनर दिया गया तो उन्होंने पैक लंच भी देने की बात कही। इसके लिए संबंधित एजेंसी ने जवानों को मना कर दिया। सूत्रों का कहना है कि इस तरह के मामलों में खुद का विभाग भी कोई खास कार्रवाई नहीं करता। जवानों के खाने से जुड़े मामले को टरकाने का प्रयास किया जाता है। सीआरपीएफ अधिकारियों ने इस मामले को अपने विभाग तक पहुंचाने का प्रयास किया था। अगर बल के कैडर अधिकारी इस तरह के मामलों की शिकायत करते हैं तो संबंधित फोर्स के शीर्ष अफसर उन्हीं के खिलाफ ही कार्रवाई कर देते हैं।

बता दें कि चुनावी ड्यूटी पर गए सुरक्षा बलों के लिए वाहनों का इंतजाम लोकल प्रशासन करता है। केंद्रीय अर्धसैनिक बलों ‘सीएपीएफ’ में चुनावी ड्यूटी के दौरान अव्यवस्था को लेकर अगर कोई कैडर अफसर बोलता है तो उस पर गाज गिरा दी जाती है। इस साल कई अफसरों को ‘मुंह’ खोलना भारी पड़ा है

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