दिल्ली. दिल्ली में इस बार की बाढ़ ने जो सितम ढाए, वो किसी से छिपा नहीं है। लोगों को अपने घर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा, हर ओर सिर्फ पानी ही पानी था। इस बार की बाढ़ ने फिर एक बार 2023 में आई तबाही की याद दिला दी,लेकिन इस बीच एक अच्छी खबर भी आई। इस बाढ़ ने यमुना नदी का खूब फायदा करा दिया। यमुना के विकराल होते रूप को सबने देखा,कई बार नदी का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर ही रहा पर इस बीच यमुना का प्रदूषण भी धुल गया। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) की नवीनतम मासिक रिपोर्ट के अनुसार, इस साल सितंबर में यमुना नदी के पानी की गुणवत्ता दिल्ली में 2013 के बाद से अपने सबसे स्वच्छ स्तर पर पहुंच गई है। बाढ़ के दौरान नदी में पानी का तेज बहाव बताया, जिसने नदी में मौजूद प्रदूषकों को बाहर निकाल दिया और सीवेज (गंदे पानी) को पतला (dilute) कर दिया।
यमुना की निगरानी का रिकॉर्ड 2013 से उपलब्ध है और सितंबर का यह डेटा अब तक का सबसे बड़ा और प्रभावी सुधार की ओर इशारा कर रहा है। यह भी ध्यान देने वाली बात है कि यह पहला मौका है जब पानी के नमूने तेज बाढ़ के दौरान लिए गए थे। इससे पहले, 2023 में जब दिल्ली में 11 जुलाई को यमुना का जलस्तर रिकॉर्ड 208.66 मीटर तक पहुँच गया था, तब नमूने चरम स्तर से पहले, उसी महीने की शुरुआत में लिए गए थे।
3 सितंबर को, जब ऊपरी इलाकों में भारी बारिश और हथनीकुंड बैराज से बड़ी मात्रा में पानी छोड़े जाने के कारण नदी का बहाव तेज था, तब राजधानी के आठ निगरानी बिंदुओं में से छह पर पानी के नमूने लिए गए थे।
➤फेकल कॉलिफॉर्म (Faecal Coliform): यह सीवेज (गंदे पानी) से होने वाले प्रदूषण का मुख्य संकेतक है।
➤पल्ला में स्तर: यह स्तर 790 MPN/100 ml दर्ज किया गया।
➤ओखला बैराज पर स्तर: यह अधिकतम केवल 3,500 MPN/100 ml तक पहुंचा, जो कि स्वीकृत सीमा (permissible limit) 2,500 के काफी करीब है।
➤तुलना (पिछले महीनों से): यह संख्या कितनी कम है, इसे समझने के लिए: पिछले महीने (अगस्त) यह स्तर 54,000 यूनिट था, और जुलाई में यह चौंकाने वाला 92 लाख (9.2 मिलियन) यूनिट दर्ज किया गया था। दिसंबर 2020 में यह अब तक के सबसे ऊँचे स्तर 1.2 अरब यूनिट पर देखा गया था।
➤घुलित ऑक्सीजन (Dissolved Oxygen – DO): यह वह ऑक्सीजन है जो पानी में घुली होती है और जलीय जीवन के लिए आवश्यक है। यह स्तर 3.7 mg/l से 5.1 mg/l के बीच बना रहा। जलीय जीवन को बनाए रखने के लिए न्यूनतम 5 mg/l आवश्यक होता है। यह ऑक्सीजन आमतौर पर वजीराबाद के बाद से नदी में गायब हो जाती है।
➤बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड (Biological Oxygen Demand – BOD): यह प्रदूषण का एक और महत्वपूर्ण संकेतक है, और इसमें उल्लेखनीय सुधार देखा गया।
➤ओखला बैराज पर स्तर: यह 13.5 mg/l तक पहुंच गया, जो अगस्त में 24 mg/l और जुलाई में 70 mg/l था।
➤आईटीओ (ITO) पर स्तर: यहां BOD गिरकर मात्र 4 mg/l हो गया, जो वजीराबाद के नीचे पिछले एक दशक में नहीं देखा गया था।
विशेषज्ञों ने इस सुधार का श्रेय 4 सितंबर को दिल्ली में यमुना के तीसरे सबसे ऊंचे जलस्तर (207.48 मीटर) को दिया। नदी में पानी की अधिक मात्रा ने प्रदूषकों को पतला (dilute) कर दिया। साथ ही, बाढ़ नियंत्रण उपायों के तहत कई नालों को बंद कर दिया गया ताकि गंदा पानी नदी में वापस न जाए, जिससे सिस्टम में प्रवेश करने वाले सीवेज की मात्रा कम हो गई।
यमुना कार्यकर्ता पंकज कुमार ने कहा, “यह पिछले 10 सालों में पहली बार है जब नदी के पूरे हिस्से में घुलित ऑक्सीजन (DO) मौजूद है और बीओडी (BOD) का स्तर नदी के निचले हिस्सों में इतना कम हुआ है।”
उन्होंने इस सुधार का श्रेय दो चीजों को दिया:
➤बाढ़ के कारण हुई सफाई (Flood-driven flush)।
➤सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (STPs) में हाल ही में हुए सुधार।
उन्होंने आगे कहा, “STPs पिछले वर्षों की तुलना में बेहतर गुणवत्ता वाला पानी छोड़ रहे हैं, जो भी इस सुधार में योगदान दे रहा है।” DPCC (दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति) ने बताया कि बाढ़ के कारण निजामुद्दीन ब्रिज या असगरपुर से पानी के नमूने एकत्र नहीं किए जा सके। इस साल 31 अगस्त से 4 सितंबर के बीच, हथनीकुंड बैराज से लगातार पांच दिनों तक प्रति घंटे 1,00,000 क्यूसेक से अधिक पानी छोड़ा गया। बाद में यह बहाव कम हो गया, लेकिन नदी अस्थायी रूप से साफ हो गई।
हालांकि, विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि यह सुधार बहुत कम समय के लिए है। साउथ एशिया नेटवर्क ऑन डैम्स, रिवर्स एंड पीपल (SANDRP) के भीम सिंह रावत ने कहा, “नमूने तब लिए गए थे जब भारी मात्रा में बाढ़ का पानी दिल्ली पहुंचा था और उसने प्रदूषकों को बहा दिया था। लेकिन जैसे ही बहाव कम होगा, गंदा पानी (अपशिष्ट) फिर से हावी हो जाएगा।” उन्होंने जोर देकर कहा कि जहां एक ओर पर्याप्त ई-फ्लो (e-flows) — जैसा कि सिफारिश की गई है, कम से कम 23 क्यूसेक — बहुत जरूरी है, वहीं दिल्ली को नालों में बह रहे बिना उपचारित (untreated) सीवेज की समस्या से भी निपटना होगा।









