भारतीय करेंसी एक बार फिर डॉलर के दबदबे के आगे कमजोर पड़ गई. शुक्रवार की शुरुआती ट्रेडिंग में रुपया 3 पैसे गिरकर 88.66 पर आ गया. मुद्रा बाजार के जानकारों के अनुसार, अमेरिकी डॉलर की मजबूती, विदेशी निवेशकों की लगातार निकासी और घरेलू इक्विटी बाजारों में बिकवाली तीनों ने मिलकर रुपये पर दबाव बना दिया.
बाजार खुलते ही रुपया 88.61 के स्तर पर था, लेकिन जल्द ही फिसलकर 88.66 तक पहुंच गया, जो गुरुवार के मुकाबले 3 पैसे की गिरावट दर्शाता है. पिछले सत्र में डॉलर के मुकाबले रुपया मामूली बढ़त के साथ बंद हुआ था, लेकिन विदेशी संकेतों ने एक दिन में ही तस्वीर बदल दी.
डॉलर इंडेक्स, जो छह प्रमुख वैश्विक मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी करेंसी की ताकत को मापता है, 0.08% बढ़कर 99.66 पर पहुंच गया. डॉलर की यह मजबूती भारतीय रुपया जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं की करेंसी पर सीधा दबाव डाल रही है.
वहीं, दूसरी ओर कच्चे तेल (Brent Crude) की कीमत भी 0.39% बढ़कर 63.62 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई, जिससे भारत की इंपोर्ट कॉस्ट और ट्रेड डेफिसिट दोनों पर असर पड़ने की आशंका है.
विदेशी मुद्रा विश्लेषकों का कहना है कि जब भी डॉलर मजबूत होता है और क्रूड महंगा, तब रुपये को झटका लगना तय होता है.
जियोजित इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के चीफ मार्केट स्ट्रैटेजिस्ट आनंद जेम्स का कहना है, “कच्चे तेल की वैश्विक मांग में नरमी और आपूर्ति बढ़ने की आशंकाओं के बावजूद डॉलर मजबूत बना हुआ है. विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली ने भी रुपये को सपोर्ट नहीं दिया.”
उन्होंने आगे कहा कि बाजार की मौजूदा स्थिति में भारतीय मुद्रा पर दबाव कुछ दिनों तक बना रह सकता है.
घरेलू शेयर बाजारों में भी गिरावट का माहौल रहा. सेंसेक्स 610 अंक (0.73%) गिरकर 82,700.09 पर पहुंचा, जबकि निफ्टी 169 अंक (0.66%) फिसलकर 25,340.20 पर बंद हुआ.
बैंकिंग, IT और कंज्यूमर सेक्टर में सबसे ज्यादा बिकवाली देखने को मिली. विशेषज्ञों का मानना है कि विदेशी निवेशकों की लगातार पूंजी निकासी से इक्विटी और करेंसी दोनों पर असर पड़ रहा है.
विश्लेषकों का कहना है कि आने वाले हफ्ते में फेडरल रिजर्व की ब्याज दर नीति और क्रूड ऑयल की दिशा रुपये के ट्रेंड को तय करेगी. अगर डॉलर इंडेक्स 100 के पार जाता है, तो रुपया 89 के स्तर को भी छू सकता है. वहीं, अगर क्रूड में नरमी और एफआईआई की वापसी होती है, तो करेंसी को कुछ राहत मिल सकती है.





