बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में रिकॉर्ड मतदान हुआ है, जो पिछले चुनाव से 9.6 प्रतिशत अधिक है। वोटर टर्नआउट में हुई एतिहासिक बढ़ोतरी के बाद इसकी चर्चा पूरे देश में है। लोग यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिर किस वजह से बिहार में बंपर वोटिंग हुई। एनडीए सरकार की पहल और महागठबंधन के वादे इसके कारण हैं ही, वहीं जनसुराज ने शुरुआती दौर में युवाओं के भविष्य का एजेंडा तय किया। आगे की बहस और पहल उसी के इर्द-गिर्द घूमती रही।
इस बार का चुनाव कई दिग्गजों और उनके साथ जुड़े नेताओं के लिए आखिरी पारी जैसा है तो नई पीढ़ी के नेताओं के लिए नया अवसर जैसा। ऐसे में इन दोनों पीढ़ी के नेताओं ने भी पूरी ताकत झोंक दी, जबकि बाकी कसर पक्ष-विपक्ष में ध्रवीकरण ने पूरी कर दी। आइए उन 5 फैक्टर को जानते हैं जिससे बिहार में रिकॉर वोटिंग दर्ज की गई।
चुनावी रणनीतिकार से राजनीति के मैदान में उतरे प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी ने विधानसभा चुनाव को लेकर व्यापक नींव तैयार की। इसमें युवा, रोजगार, पलायन, बेहतर शिक्षा व्यवस्था और बच्चों के बेहतर भविष्य के सपने दिखाए गए। शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर पार्टी ने बार-बार अपना पक्ष मतदाताओं के बीच रखा। उसने बच्चों के भविष्य पर मतदान की अपील की और उसका असर चुनाव में देखने को भी मिला।
सरकारी घोषणा के बीच विपक्ष का प्रभावी हस्तक्षेप हुआ। राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं की तरह विपक्षी महागठबंधन ने भी आम जनता के लिए बड़ी घोषणाएं कीं। हर गऱ में एक सरकारी नौकरी देने और महिलाओं के खाते में 30 हजार रुपये भेजे जाने की घोषणा का भी लोगों पर काफी प्रभाव पड़ा है। इसके अलावा विपक्ष की ओर से अपराध के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई का ऐलान किया गया और कहा गया कि सभी अपराधियों की शीघ्र जेल भेजा जाएगा। इससे विपक्ष की ओर से एक सशक्त सरकार बनाने की रूपरेखा पेश की गई। बड़ी संख्या में लोगों ने इस वादे पर भरोसा जताया।
इस चुनाव में सरकार की तरफ से राज्य के लोगों के लिए कई कल्याणकारी योजनाओं की घोषणा की गई। यहीं नहीं, कई योजनाओं का लाभ भी उन्हें सीधे मिला। 125 यूनिट फ्री बिजली करने के साथ ही महिला रोजगार योजना के तहत महिलाओं को 10-10 हजार रुपये देने का राज्य सरकार ने न केवल निर्णय लिया, बल्कि इस पैसे का पेमेंट भी शुरू हो गया।
इस चुनाव में ध्रुवीकरण एक महत्वपूर्ण फैक्टर रहा। एनडीए और महागठबंधन दोनों ओर से ध्रुवीकरण हुआ। पूरा चुनाव दो ध्रुवों में स्पष्ट बंटा दिखा। इसके अलावा खास क्षेत्र में जनसुराज और एआईएमआईएम की ओर से भी ध्रुवीकरम हुआ। विभिन्न मुद्दों पर लोगों के बीच मत बनाने के क्रम में यह और तेज हुआ। ध्रवीकरण के कारण भी मतदाता आक्रमक होकर मतदान के लिए बूथों तक पहुंचे। एक पक्ष को अत्यधिक उत्सा हित देख दूसरी ओर से भी मतदान के लिए ध्रवीकरण हुआ।
2025 का विधानसभा चुनाव कई लोगों के लिए एक याद की तरह हैं। सीएम नीतीश कुमार, लालू यादव और रामविलास पासवान से जुड़े नेताओं में से कई के लिए यह आखिरी चुनाव है। वे अपनी अंतिम सियासी पारी खेल रहे हैं। इनमें से कई दलीय नेताओं के टिकट भी कटे। कई बागी हुए तो कई दल से टिकट पाकर चुनावी मैदान में उतरें। लिहाजा, उनकी तरफ से पूरी कोशिश की गई। उनकी भावनात्मक अपील का भी मतदाताओं पर काफी गहरा असर पड़ा। वे अपने नेता के पक्ष में गोलबंद हुए और रिकॉर्ड वोटिंग का हिस्सा बने।










