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4 अक्टूबर का दिन शनि साढ़ेसाती राशियों के लिए खास, शनि प्रदोष व्रत पर करें ये उपाय

शनिवार के दिन प्रदोष व्रत पड़ने के शनि प्रदोष व्रत कहा जाता है। शनि प्रदोष व्रत संतान की प्राप्ति, संतान की उन्नति व संतान के कल्याण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। शनि प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति को संतान से संबंधित सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है।उसके बाद त्रयोदशी तिथि लग जाएगी। इस कारण से प्रदोष का व्रत 4 अक्टूबर दिन शनिवार को किया जाएगा। इस दिन गोधूलि समय में भगवान पद्मनाभ एवं शनि देव की साथ-साथ भगवान सदाशिव भोलेनाथ की आराधना माता पार्वती के साथ अवश्य करना चाहिए। शास्त्रों में कहा गया है कि जब प्रदोष व्रत शनिवार के दिन प्राप्त होता है तो उसे शनि प्रदोष व्रत कहा जाएगा। शनि प्रदोष व्रत को संतान से संबंधित किसी भी समस्या के समाधान के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। आश्विन शुक्ल पक्ष द्वादशी तिथि 4 अक्टूबर दिन शनिवार को पद्मनाभ द्वादशी एवं प्रदोष का व्रत किया जाएगा। द्वादशी तिथि का आरंभ 3 अक्टूबर दिन शुक्रवार को दिन में 2:44 बजे के बाद आरंभ होगा। जो 4 अक्टूबर दिन शनिवार को दिन में 2:03 बजे तक व्याप्त रहेगा।

शनि प्रदोष पर ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति कैसी
इस दिन चंद्रमा कुंभ राशि मे, मंगल तुला राशि में, सूर्य कन्या राशि में, बुध तुला राशि में, गुरु मिथुन राशि में, शुक्र सिंह राशि में, शनि मीन राशि में, राहु कुंभ राशि में तथा केतु सिंह राशि में गोचर करेगा। कुम्भ राशि चंद्रमा और राहु का योग भी बनेगा। इस दिन धनिष्ठा नक्षत्र दिन में 7:05 बजे तक व्याप्त रहेगी। उसके बाद शतभिषा नक्षत्र आरंभ हो जाएगी।

शनि साढ़ेसाती वाले इस दिन क्या उपाय करें

इस दिन भगवान शिव की उपासना करने से तथा भगवान शिव को दुग्ध चढ़ाने से संतान से संबंधित समस्याओं के साथ-साथ सांसारिक सुखों की प्राप्ति हो सकती है। प्रदोष काल में भगवान शिव का विधिवत श्रृंगार करने से तथा श्री हरि विष्णु एवं माता लक्ष्मी की आराधना करने से जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अच्छी उपलब्धि प्राप्त होती है। शनिवार के दिन भगवान शिव की उपासना के साथ-साथ शनि देव की भी उपासना अवश्य करनी चाहिए। शनि प्रदोष के दिन शनि देव के मंदिर में अथवा पीपल के वृक्ष के नीचे गोधूल समय सरसों के तेल का दीपक जलाने से तथा शनि देव के मंत्रो का जप करने से, काला तिल और गुड़ मिलाकर चीटो को खिलाने से तथा गुण वाली मीठी पूरी सरसों के तेल में बनाकर गायों को खिलाने से शनि देव से संबंधित सभी प्रकार की समस्याएं समाप्त हो जाती हैं तथा व्यक्ति के जीवन में नकारात्मकता दूर होती है तथा साढ़ेसाती ढैय्या एवं शनि के अशुभ महादशा के प्रभाव से मुक्ति मिलती है। इससे शनि के बुरे प्रभाव से बचाव होता है। इस व्रत को करने से भक्तों को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है और संतान से जुड़ी बाधाएं दूर होती हैं। इस दिन प्रदोष व्रत करने से आपको शिव और शनि की कृपा प्राप्‍त होगी।

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