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मेरठ में अफसरों की नाक के नीचे फर्जी स्टांप बना कर करोड़ों का घोटाला कर दिया।

मेरठ ब्यूरो रिपोर्ट। स्टांप घोटाले में दर्ज पांच मुकदमों में अधिवक्ता विशाल वर्मा का नाम पुलिस ने खोल दिया है। अब उसकी गिरफ्तारी की तैयारी भी शुरू कर दी है। 997 स्टांप पर मेरठ कोषागार की मुहर और हस्ताक्षर की जांच फोरेंसिक लैब से कराने की प्रक्रिया चालू हो गई। वहीं, 2016 से रजिस्ट्री में लगे स्टांप की जांच कराने के लिए सहायक आयुक्त स्टांप ज्ञानेंद्र कुमार ने उपनिबंधकों को निर्देश दिए हैं। फर्जी स्टांप की बिक्री करने गिरोह में कौन-कौन शामिल हैं, इसका भी जांच में खुलासा होगा।

25 हजार के फर्जी स्टांप लगाकर अधिकांश रजिस्ट्री हुई है। अधिवक्ता विशाल वर्मा से स्टांप खरीदें गए हैं, इसके पुख्ता प्रमाण पुलिस ने जुटा लिए हैं। अलग-अलग तीन मुकदमों में विशाल का नामजद किया गया है, जबकि दो मुकदमे में उसका नाम नहीं था। पुलिस की विवेचना में विशाल का पांचों मुकदमों में नाम खोल दिया है। भाजपा नेता के करीबी की फर्म ने करोड़ों रुपये के स्टांप खरीदे हैं, इसकी गहनता से जांच होगी। बताया गया कि कचहरी में अधिवक्ता विशाल वर्मा का बड़ा नेटवर्क फैला है। जिला कोषागार और रजिस्ट्री विभाग की कार्यशैली की जांच होगी

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