राज्य में किसानों को विविध योजनाओं के तहत कृषि यंत्र, औजार सूक्ष्म सिंचाई योजना, फलोत्पादन योजना व खेत तालाब आदि के लिए अनुदान दिया जाता है। लेकिन इन योजनाओं के लाभार्थियों के लगभग 47 लाख आवेदन प्रलंबित है।
उक्त मुद्दा विधान परिषद में प्रश्नोत्तर के माध्यम से विप सदस्य रणजीत सिंह मोहिते पाटिल, संजय खोडके, विक्रम काले, निरंजन डावखरे, प्रवीण दरेकर, सदाभाऊ खोत, कृपाल तुमाने आदि सदस्यों ने उठाते हुए सरकार से जवाब मांगा। राज्यमंत्री आशीष जायसवाल ने सदन में जानकारी दी कि प्राप्त आवेदनों के चयन के बाद कागजातों की जांच कर पात्र किसानों को लाभ दिया जाएगा।
1.27 करोड़ की फार्मर आईडी तैयार
अब तक 10.99 लाख आवेदन पात्र पाये गये हैं। शेथ पेंडिंग आवेदनों की जांच मार्च तक पूरा कर मंजूर किये जाएंगे। निरंजन डावखरे ने कहा कि किसानों की फार्मर आईडी 1-1 महीने तक क्रिएट नहीं होती। तकनीकी खामियों के चलते किसान लाभ से वंचित हो रहे हैं। इसके लिए ठोस उपाययोजना की जानी चाहिए।
जायसवाल ने बताया कि राज्य में 1.71 करोड़ किसान हैं और अब तक 1.27 करोड़ की फार्मर आईडी तैयार हो चुकी है। सभी जिलाधिकारियों को जल्द से जल्द 100 फीसदी आईडी तैयार करने का निर्देश दिया गया है। कृषि समृद्धि योजना के लिए वर्ष 2025-26 से आगे 5 वर्ष के लिए प्रति वर्ष 5 हजार करोड़ ऐसा कुल 25 हजार करोड़ रुपये प्रावधान करने का निर्णय मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया है।
2,000 करोड़ रुपयों की जरूरत
कृषि मंत्री दत्तात्रय भरणे ने सदन को जानकारी दी कि प्रलंबित आवेदनों के अनुदान के लिए 2,000 करोड़ रुपयो की जरूरत है। सरकार किसानों के साथ है और 31 मार्च तक सभी प्रलंबित आवेदकों को अनुदान देने के लिए सरकार कटिबद्ध है।
इतनी बड़ी संख्या में प्रलंबित आवेदनों का कारण देते हुए उन्होंने कहा कि एक-एक परिवार के 5-6 सदस्यों द्वारा योजना का लाभ लेने के लिए अर्ज किया जाता है। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि कृषि सामग्रियों पर 5 प्रतिशत जीएसटी रद्द करने के लिए केन्द्र सरकार से फालोअप किया जाएगा।





