गोपाष्टमी का त्योहार हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस साल गोपाष्टमी 30 अक्टूबर, गुरुवार को है। इस पर्व की रौनक मथुरा, वृंदावन और ब्रज के अन्य क्षेत्रों में ज्यादा देखने को मिलती है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के अलावा गोशालाओं में गाय की पूजा की जाती है। मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन से दरिद्रता दूर होती है और घर में सुख-शांति व खुशहाली आती है। जानें क्यों मनाई जाती है गोपाष्टमी, पूजन मुहूर्त व उपाय।
गोपाष्टमी पूजन मुहूर्त 2025: कार्तिक शुक्ल अष्टमी तिथि 29 अक्टूबर को सुबह 09 बजकर 23 मिनट पर प्रारंभ होगी और 30 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 06 मिनट पर समाप्त होगी। पूजन का ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04:48 बजे से सुबह 05:40 बजे तक रहेगा। देखें गोपाष्टमी पूजन के अन्य मुहूर्त:
अभिजित मुहूर्त- 11:42 ए एम से 12:27 पी एम
विजय मुहूर्त- 01:55 पी एम से 02:40 पी एम
गोधूलि मुहूर्त- 05:37 पी एम से 06:03 पी एम
सायाह्न सन्ध्या- 05:37 पी एम से 06:55 पी एम
अमृत काल- 07:42 ए एम से 09:22 ए एम
क्यों मनाया जाता है गोपाष्टमी का पर्व: पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान कृष्ण ने ब्रजवासियों को भगवान इंद्र के प्रकोप से बचाने के लिये गोवर्धन पूजा के दिन गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा यानी छोटी उंगली पर उठाया था। सात दिनों तक भगवान इंद्र के भयंकर वर्षा करने के बाद उन्होंने गोपाष्टमी के दिन अपनी हार स्वीकार की थी।
कहा जाता है कि भगवान कृष्ण ने ब्रजवासियों की ओर से इंद्रदेव को दी जाने वाली वार्षिक भेंट को रोकने का सुझाव दिया था। इस बात से भगवान इंद्र गुस्सा हो गए थे और उन्होंने ब्रज को डुबाने का फैसला किया था, लेकिन इंद्रदेव अपने इस उद्देश्य में विफल रहे, क्योंकि पूरा ब्रज गोवर्धन पर्वत के नीचे सुरक्षित हो गया था।
क्यों पड़ा भगवान श्रीकृष्ण का नाम गोविंद: भगवान श्रीकृष्ण का गोविंद नाम इसलिए पड़ा क्योंकि उन्होंने गोपालन, गोसंरक्षण-संवर्दन व गो सेवा के प्रति सभी लोगों को प्रेरित किया था। ऐसा भी माना जाता है कि गोपाष्टमी भगवान श्रीकृष्ण के समय से ही मनाई जाती है। इस दिन गाय, गोवत्स (बछड़ों) तथा गोपालों के पूजन का विधान है।
गोपाष्टमी उपाय-
1. गोपाष्टमी के दिन गाय को हरा चारा या हरी मटर खिलाना अत्यंत शुभ माना जाता है। कहते हैं कि ऐसा करने से तरक्की मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि व खुशहाली आती है।
2. गोपाष्टमी के दिन गाय को गुड़ खिलाना अत्यंत लाभकारी माना गया है। कहते हैं कि ऐसा करने से सामाजिक मान-प्रतिष्ठा के साथ भाग्य का साथ मिलता है।










