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कोलकाता में भूकंप… बंगाल, पाकिस्तान और अफगानिस्तान पर असर, बांग्लादेश रहा केंद्र

आज सुबह, भारत के पश्चिम बंगाल राज्य में अचानक भूकंप के झटके महसूस किए गए। इन झटकों के कारण बंगाल के कई जिलों में लोग डर गए और कुछ देर के लिए अफरा-तफरी का माहौल बन गया। भूकंप का केंद्र पड़ोसी देश बांग्लादेश में टुंगी के पूर्व में लगभग 27 किलोमीटर दूर बताया गया है। यह भूकंप स्थानीय समय के अनुसार सुबह 10:08 बजे आया, जिससे कई लोगों ने इसे महसूस किया। इसकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 5.5 थी।

यूरोपियन-मेडिटेरेनियन सीस्मोलॉजिकल सेंटर (EMSC) ने इस भूकंप की जानकारी दी है। केंद्र बांग्लादेश में था लेकिन इसका असर पश्चिम बंगाल तक देखा गया। कई इलाकों से हल्के झटके महसूस होने की सूचना मिली है। हालाकि, अभी तक किसी बड़े नुकसान या हताहत होने की खबर नहीं है पर झटकों के कारण लोगों में थोड़ी दहशत फैल गई थी।

भारत के दो पड़ोसी देशों में भी दिखा असर

आज सुबह भारत के पश्चिम बंगाल को साथ-साथ दो पड़ोसी देशों, बांग्लादेश और पाकिस्तान में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए, जिससे लोगों में दहशत फैल गई। बांग्लादेश की राजधानी ढाका में सुबह करीब 10 बजकर 08 मिनट पर जोरदार झटके लगे जो लगभग 20 सेकंड तक महसूस किए गए। लोग डर के मारे अपने घरों से बाहर निकल आए, हालाकि अभी तक किसी बड़े नुकसान की खबर नहीं है।

इससे कुछ घंटे पहले, पाकिस्तान में तड़के 5.2 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसके झटके अफगानिस्तान के कई इलाकों में भी महसूस किए गए। वैज्ञानिकों का कहना है कि पाकिस्तान में यह भूकंप जमीन से बहुत गहराई में था (135 किलोमीटर), इसलिए इसका असर सतह पर कम घातक रहा, क्योंकि उथले भूकंपों की तुलना में गहरे भूकंप का कंपन सतह तक आते-आते कमजोर पड़ जाता है। यह पूरा क्षेत्र भारतीय और यूरेशियन टेक्टॉनिक प्लेटों की टक्कर के कारण भूकंप के प्रति संवेदनशील है।

बार-बार भूकंप आने का कारण

अफगानिस्तान, पाकिस्तान और उत्तर भारत का यह विशाल क्षेत्र दुनिया के सबसे संवेदनशील भूकंप-प्रवण इलाकों में से एक है। इसका मुख्य कारण यहां की भूगर्भीय गतिविधियों का अत्यधिक एक्टिव होना है। यह इलाका वह क्षेत्र है जहां धरती की दो विशाल प्लेटें भारतीय टेक्टोनिक प्लेट और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेट आपस में लगातार टकराती और रगड़ खाती रहती हैं।

जब ये प्लेटें बहुत धीमी गति से खिसकती हैं, तो धरती के भीतर एक बड़ी मात्रा में ऊर्जा का दबाव जमा होता जाता है। जब यह दबाव उस सीमा से आगे बढ़ जाता है जिसे चट्टानें सह सकती हैं, तो यह अचानक मुक्त होता है और यही मुक्त हुई ऊर्जा जमीन को हिलाने वाले भूकंप के झटकों में बदल जाती है। जितनी अधिक ऊर्जा का जमाव होता है, उतने ही तेज और तीव्र झटके महसूस किए जाते हैं।

पृथ्वी की परतें और भूकंप का विज्ञान

भूकंप की यह पूरी कहानी पृथ्वी की बाहरी परत, जिसे भू-पर्पटी (Crust) कहा जाता है से जुड़ी है। यह पर्पटी किसी एक टुकड़े की बजाय कई बड़ी और छोटी प्लेटों से मिलकर बनी है, जिन्हें टेक्टोनिक प्लेट्स कहते हैं। ये प्लेटें समुद्रों या महाद्वीपों के नीचे हमेशा हलचल में रहती हैं, जो कि पृथ्वी की आंतरिक गर्मी के कारण चलती रहती है। जब ये प्लेटें एक-दूसरे से टकराती हैं, एक-दूसरे के ऊपर चढ़ती हैं (जिसे सबडक्शन कहते हैं) या एक-दूसरे से अलग होती हैं, तो उनके किनारे पर भारी तनाव पैदा होता है। यही तनाव और हलचल वह प्राकृतिक प्रक्रिया है जो जमीन के नीचे की ऊर्जा को मुक्त करती है और इसी कारण धरती पर भूकंप आते हैं।

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