पिछले साल 2024 में ही लोकसभा का चुनाव हुआ था. लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान को पांच सीटें मिली थीं. वे खुद तो जीते ही थे. साथ ही अन्य सीटों पर उनके सारे प्रत्याशियों की जीत हुई थी. यही कारण है कि चिराग पासवान अक्सर 100 परसेंट स्ट्राइक रेट का जिक्र करते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले केंद्रीय मंत्री और लोजपा नेता चिराग पासवान ने सीट शेयरिंग पर बड़ी शर्त रख दी है. चिराग पासवान ने कहा कि सवाल सीट के नंबर का नहीं है, सवाल स्ट्राइक रेट का है. हम वहां से लड़ना चाहेंगे जहां से हमारी जीत पक्की है. चिराग ने कहा कि हर पार्टी के पास सीट को लेकर एक आंकड़ा होता है. हमारे पास भी सीटों की संख्या है. हमें पता है कि हमें कितनी सीटों पर लड़ना है. हमें ये भी पता है कि सीटों की संख्या से अधिक क्वालिटी मायने रखेगी. ऐसे में हम उन सीटों पर लड़ना पसंद करेंगे जहां हमारी जीत सुनिश्चित है.
केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने कहा कि लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी ने 100 परसेंट स्ट्राइक रेट से चुनाव जीता था. चिराग कहते हैं, “मैं लोकसभा की तरह ही विधानसभा में वैसी सीटों को लेना चाहूंगा, जिस पर शत प्रतिशत स्ट्राइक रेट दूं. लोकसभा में 100 परसेंट था. विधानसभा में भी 100 परसेंट रखना चाहता हूं.” लोजपा सुप्रीमो कहते हैं,”मेरे लिए दो सीटें कम-ज्यादा मायने नहीं रखतीं, लेकिन मेरे लिए वो सीटें मायने रखती हैं, जो मैं शत प्रतिशत जीत कर गठबंधन को दे सकूं. मुझे लगता है इसी आधार पर सीटों का बंटवारा होना भी चाहिए.” पिछले चुनाव में चिराग पासवान का वोट प्रतिशत करीब 6 प्रतिशत रहा है, जबकि लोजपा का कहना है कि अगर वो सभी सीटों पर चुनाव लड़ती तो यह 10 या 11 प्रतिशत तक जा सकता था
बिहार में विधानसभा की 243 सीटें हैं. एनडीए में पांच दल हैं और सबकी चाहत है कि वो अधिक से अधिक सीटों पर चुनाव लड़े. 18 सितंबर, 2025 को नीतीश कुमार और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मुलाकात भी हुई है. इस बीच सूत्रों के अनुसार एनडीए में सीट शेयरिंग का जो ताजा आंकड़ा निकलकर आया है, उसके अनुसार, बिहार में 243 में से जेडीयू 102-103, बीजेपी- 101-102, एलजेपी रामविलास (चिराग पासवान की पार्टी) 25-28, हम (जीतन राम मांझी की पार्टी) 6-7 और आरएलएम (उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी) 4-5 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है. चिराग पासवान की शर्तों में संख्या से अधिक सीटों के चयन पर अधिक जोर है, जिसको भाजपा और जदयू किस प्रकार से सुलझाती है यह देखना होगा