पटना. नीतीश कुमार ने 10वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ले ली है। लेकिन इस बार चीजें बदली हुई हैं। अब तक सरकार में जूनियर पार्टनर के तौर पर रहने वाली भाजपा के इस बार सबसे ज्यादा 14 मंत्री हैं। वहीं नीतीश कुमार की जेडीयू के खाते में 8 ही मंत्री आए हैं। माना जा रहा है कि नई सरकार में भाजपा नेतृत्व ने मजबूती से अपना पक्ष रखा और अपने सबसे ज्यादा मंत्री बनवाने में सफलता पाई है। इसके अलावा दो और फायदे भाजपा को मिले हैं। पहला यह कि विधानसभा स्पीकर का पद भी भाजपा के ही खाते में जाने की खबर है। इसके अलावा दो डिप्टी सीएम बनवा लेना भी भाजपा के लिए फायदे का सौदा है। इसलिए क्योंकि पहले कहा जा रहा था कि नीतीश कुमार दो डिप्टी सीएम बनाने के पक्ष में नहीं हैं। ऐसे में दो उप-मुख्यमंत्री बरकरार रखना भी भाजपा के लिए एक बढ़त है।
भाजपा ने मंत्री पद देते हुए सामाजिक समीकरणों का भी पूरा ख्याल रखा है। पहली प्राथमिकता लवकुश समीकरण और अगड़ा को दी गई है। इसी के तहत सम्राट और विजय सिन्हा डिप्टी सीएम बने हैं। वहीं ब्राह्मण समाज के मंगल पांडेय और कायस्थ बिरादरी से ताल्लुक रखने वाले नितिन नबीन मंत्री बनाए गए हैं। भाजपा ने मंत्री पद देते हुए सामाजिक समीकरणों का भी पूरा ख्याल रखा है।
पहली प्राथमिकता लवकुश समीकरण और अगड़ा को दी गई है। इसी के तहत सम्राट और विजय सिन्हा डिप्टी सीएम बने हैं। वहीं ब्राह्मण समाज के मंगल पांडेय और कायस्थ बिरादरी से ताल्लुक रखने वाले नितिन नबीन मंत्री बनाए गए हैं। वहीं रामकृपाल यादव, दिलीप जायसवाल जैसे नेताओं को भी मंत्री पद से नवाजा गया है। इस बार नीतीश मिश्रा को मंत्री नहीं बनाया गया है। वह पिछली सरकार में उद्योग मंत्री थे। उन्हें फिर से मंत्री बनाए जाने की चर्चा थी क्योंकि उनकी जीत का अंतर भी 2020 से ज्यादा था। लेकिन उन्हें मौका नहीं मिल पाया।
भाजपा के 14 और जेडीयू के 8 मंत्रियों के अलावा चिराग पासवान की पार्टी लोजपा-आर को दो मंत्री मिले हैं। वहीं जीतनराम मांझी की HAM को एक और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोकमोर्चा को भी एक मंत्री पद मिला है। इन नेताओं ने अपने बेटों को ही मंत्री पद से नवाजा है। जीतनराम मांझी ने अपने बेटे संतोष सुमन को ही मंत्री पद दिया है तो वहीं उपेंद्र कुशवाहा ने भी अपने बेटे दीपक प्रकाश को कैबिनेट में एंट्री दिलाई है।










