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स्तन कैंसर की पहचान में बायोप्सी है सबसे भरोसेमंद जांच : डॉ आकांक्षा चिखलीकर

रायपुर ब्यूरो रिपोर्ट। स्तन में गांठ या मैमोग्राफी/अल्ट्रासाउंड में असामान्यता दिखने पर डॉक्टर अक्सर स्तन बायोप्सी कराने की सलाह देते हैं। इस जांच में स्तन से ऊतक का बहुत छोटा हिस्सा निकालकर माइक्रोस्कोप से देखा जाता है। यह प्रक्रिया यह तय करने में मदद करती है कि गांठ कैंसर है या नहीं।

क्यों ज़रूरी है बायोप्सी?

सटीक निदान: गांठ कैंसर है या नहीं, इसका स्पष्ट पता चलता है।

इलाज की दिशा तय होती है: अगर कैंसर है तो उसका प्रकार और सही उपचार पता चल जाता है।

अनावश्यक ऑपरेशन से बचाव: यदि गांठ कैंसर नहीं है तो सर्जरी की ज़रूरत नहीं पड़ती।

अन्य रोगों की पहचान: इंफेक्शन, सूजन या ऐसी स्थितियां जो भविष्य में कैंसर का कारण बन सकती हैं, उनका भी पता चलता है।

बायोप्सी के प्रमुख प्रकार

1. फाइन-नीडल एस्पिरेशन (FNA): पतली सुई से कोशिकाएं या तरल निकाला जाता है। प्रक्रिया आसान है, परंतु जानकारी सीमित मिलती है।

2. कोर नीडल बायोप्सी (CNB): मोटी सुई से ऊतक के टुकड़े लिए जाते हैं। अल्ट्रासाउंड की मदद से की जाने वाली यह जांच सबसे विश्वसनीय मानी जाती है।

3. वैक्यूम-असिस्टेड बायोप्सी (VAB): मोटी सुई और सक्शन मशीन से एक साथ कई नमूने लिए जाते हैं।

4. सर्जिकल बायोप्सी: इसमें गांठ का हिस्सा या पूरी गांठ ऑपरेशन से निकाली जाती है। इसे अंतिम विकल्प माना जाता है, क्योंकि कैंसर पाए जाने पर दोबारा सर्जरी करनी पड़ सकती है।

विशेषज्ञ की रायडॉ. आकांक्षा चिक्लि कर, सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट एवं ब्रेस्ट ऑन्कोप्लास्टिक सर्जन, एमएमआई नारायणा हेल्थ हॉस्पिटल, पचपेडी नाका, रायपुर, ने बताया कि “बायोप्सी स्तन कैंसर की पुष्टि करने का सबसे अहम तरीका है। इससे न केवल रोग का सही प्रकार पता चलता है बल्कि मरीज को अनावश्यक सर्जरी से भी बचाया जा सकता है।”

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