रायपुर। दही हांडी उत्सव स्थल, अवधपुरी मैदान, श्रीनगर रोड, गुढिय़ारी में 4 से 8 अक्टूबर तक होने वाले श्रीमंत हनुमंत कथा के पहले दिन, शनिवार को बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पूज्य पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री श्रद्धालुजनों से माफी मांगते हुए कहा कि मुरैना से एयरपोर्ट आने में उन्हें तीन घण्टा लग गया क्योंकि रास्ते में तीस हजार लोग थे इसलिए वे छत्तीसगढ़ की पावन धरा में देरी से पहुंचे। कल से हम टाईम पर आ जाएंगे। बालाजी महाराज से वे छत्तीसगढ़ के लोगों के लिए आर्शीवाद मांगते हुए कहा कि ऐसी ही कृप यहां के लोगों पर हमेशा बनाए रखे। व्यासपीठ की पूर्ज अर्चना करने के बाद कथा की शुरुआत करते हुए कहा कि जो कीर्तन नहीं गाता, जो धीरे-धीरे भी नहीं गाता है उसके भीतर का पाप बाहर निकल आता है और जो धीरे-धीरे गाता है उसके भीतर भी कीर्तन अपने आप घूस जाता है। अगर तुम बगल वाले का पाप अपने भीतर प्रवेश कराना चाहते हो तो धीरे-धीरे कीर्तन करो। पूज्य पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि हनुमान जी महाराज की बड़ी कृपया है कि छत्तीसगढ़ की पावन से उन्होंने कथा की शुरुआत की थी और फिर वहीं वापस आ गए। तीन साल पहले यहीं से कथा शुरु किए थे इसका मतलब यह हुआ कि लौट के बुद्धु घर पर आए। गुढिय़ारी वाले हनुमान जी महाराज की कृप पूरे रायपुर पर बरसती है और हम अपने ममामा गांव में आ गए है, इसलिए हम तो छत्तीसगढ़ के भांचा है। यही वह जगह है जहां पहली बार कथा हुई थी, वही पंडाल और हमने यहां से हूंकार भरी थी कि हम तुम्हें हिन्दू राष्ट्र देंगे, बस करवाने वाला यजमान बदल गया। हनुमान महाराज को प्रणाम करते हुए कहा कि छत्तीसगढिय़ा, सबले बढिय़ा। जहां पर भी वे कथा करते है छत्तीसगढ़ को कभी नहीं भूलते है और एक गाना जरुर गा लेते है चोला माटी के हे राम….। पहले जब हम गाना गाते थे तो आधा समझ आता था लेकिन अब पूरा समझ आने लग गया है। छत्तीसगढ़ का प्रेम अभूतपूर्व है और छत्तीसगढ़ के प्रेम को कभी भूला नहीं जा सकता और सच में महतारी ही है छत्तीसगढ़। बसंत अग्रवाल ने बताया कि 6 अक्टूबर को सुबह 11 बजे बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पूज्य पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का दिव्य दरबार दही हांडी उत्सव स्थल, अवधपुरी मैदान, श्रीनगर रोड, गुढिय़ारी में लगेगा जहां वे लोगों की समस्याओं का निवारण करेंगे। वहीं 7 अक्टूबर को सुबह 9 बजे बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पूज्य पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री दीक्षा देंगे। जो भक्त महाराजश्री से दीक्षा ग्रहण करना चाहते है वे रविवार सुबह 9 बजे से 6 अक्टूबर कथा समाप्त तक अपना पंजीयन करा सकते है। पंडाल के बाहर बागेश्वर धाम का कार्यालय बना हुआ है वहां से संपर्क किया जा सकता है।