नई दिल्ली ब्यूरो रिपोर्ट | दिल्ली में चुनाव की सुगबुगाहट होते ही पार्टियों में बेचैनी बढ़ने लगी है. इसी बेचैनी का नतीजा है कि आम आदमी पार्टी की पदयात्रा के बाद कांग्रेस की ‘दिल्ली न्याया यात्रा’ शुक्रवार से शुरू हो गई है.
इस न्याय यात्रा के जरिए कांग्रेस पार्टी अगले साल होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव में पार्टी कार्यकर्ताओं में जान फूंकेगी. ‘दिल्ली न्याय यात्रा’ कांग्रेस नेता राहुल गांधी के भारत जोड़ो यात्रा से प्रेरित है. इस यात्रा का मकसद दिल्ली में आम आदमी पार्टी के 10 सालों के भ्रष्टाचार सहित कई नीतियों का विरोध करना और जनता को इससे सावधान करना. ऐसे में सवाल उठता कि क्या लोकसभा की तरह कांग्रेस और आम आदमी पार्टी विधानसभा का चुनाव साथ-साथ नहीं लड़ेगी?
शुक्रवार को राजघाट से कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने दिल्ली न्याय यात्रा के शुरू करने से पहले सभी न्याय योद्धाओं के साथ मिलकर आईटीओ में छठ घाट पर सफाई अभियान चलाया. कांग्रेस के सभी कार्यकर्ताओं ने छठ घाटों पर जमा हुए कचरे को हटाया और फिर यात्रा की शुरुआत की. इस मौके पर कांग्रेस नेताओं ने कहा कि दिल्ली की सभी विधानसभा सीटों पर यह न्याय यात्रा जाएगी और अन्याय और भ्रष्टाचार को हटाकर न्याय और समानता का संदेश फैलाने का काम करेगी.
कांग्रेस की इस ‘दिल्ली न्याय यात्रा’ को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र यादव, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और कांग्रेस कोषाध्यक्ष अजय माकन ने राजघाट से ‘दिल्ली न्याय यात्रा’ को झंडी दिखाई, जिसमें हजारों कांग्रेसी कार्यकर्ता शामिल थे. एक महीने तक चलने वाली यह यात्रा में प्रतिदिन 20-25 किलोमीटर का सफर तय करेगी. दिल्ली की सभी 70 विधानसभा सीटों पर लगभग 360 किलोमीटर की दूरी तय यह यात्रा तय करेगी.
इस मौके पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने कहा, ‘कांग्रेस कार्यकर्ता यात्रा के जरिए पूरी के घर के दरवाजे तक दस्तक देगा और भ्रष्टाचारी आम आदमी पार्टी की विफलता को उजागर करेंगे. दिल्ली न्याय यात्रा का एकमात्र उद्देश्य दिल्ली के लोगों को न्याय दिलाना और 11 वर्षों के अरविंद केजरीवाल सरकार के कुशासन, झूठ और भ्रष्टाचार के बारे में बताना. 15 वर्षों में कांग्रेस सरकार के शासन के दौरान दिल्ली को विश्व स्तरीय शहर बनाया था. लेकिन, आम आदमी पार्टी ने राजधानी दिल्ली को बर्बाद कर दिल्लीवासियों को पूरी तरह से बदहाल बना दिया है.’
कुलमिलाकर दिल्ली में बीजेपी के बाद अब कंग्रेस पार्टी ने भी केजरीवाल सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. क्योंकि अरविंद केजरीवाल उसी वोट बैंक के बल पर दिल्ली के सीएम बने थे, जिसके बूते शीला दीक्षित ने दिल्ली में 15 साल तक राज किया. हालांकि, पिछला लोकसभा चुनाव कांग्रेस और आम आदमी पार्टी दोनों मिलकर लड़ी थी. लेकिन, हरियाणा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद अरविंद केजरीवाल लगभग फैसला कर चुके हैं कि दिल्ली में अकेले चुनाव लड़ेंगे. ऐसे में कांग्रेस ने दिल्ली न्याय यात्रा के बहाने अरविंद केजरीवाल पर महिलाओं, युवाओं, छात्रों, बुजुर्गों, किसानों, व्यापारियों, गरीबों, दलितों, वंचितों, पिछड़ों, निम्न और मध्यम वर्ग के लोगों के साथ अन्याय करने का आरोप लगाया है.