देहरादून ब्यूरो रिपोर्ट | नोटबंदी और कोविड़-19 के बाद से भारत में डिजिटल लेनदेन बढ़ा है. वैसे तो भारत में यूपीआई की शुरुआत अप्रैल 2016 में हुई हुई थी. साल 2022 में पूरी दुनिया में हुए डिजिटल भुगतान का अकेले 46 फीसदी भारत में ही हुआ था. एक अनुमान के अनुसार यूपीआई से होने वाला भुगतान 2028-29 तक 439 अरब रुपए हो जाएगा. यह कुल खुदरा भुगतान का 91 प्रतिशत हो जाएगा .जिस तेजी से भारत डिजिटल हो रहा है. भारत साइबर अपराध भी तेजी से बढ़ रहे हैं. आए दिन कोई न कोई साइबर ठगी का शिकार होता है. आलम ये है कि दूसरे राज्य में बैठे ये शातिर ठग इंटरनेट के बदौलत आपकी जेब काट रहे हैं. ऐसे में साइबर ठगी के मामले उत्तराखंड पुलिस के लिए भी सिरदर्दी बन गए हैं. वर्ष 2024 के 11 महीनों में तकरीबन इस तरह की ठगी के 24000 शिकायतें दर्ज हुई हैं.
साइबर ठग झारखंड, बिहार, राजस्थान,पश्चिम बंगाल, उड़ीसा के दूरदराज इलाकों में बैठकर उत्तराखंड के लोगों की जेब में डाका डाल रहे हैं. ऐसे में राज्य की पुलिस (Uttarakhand Police) के लिए उन्हें पकड़ना किसी चुनौती से कम नहीं है. आंकड़ों के अनुसार साल नवंबर 2024 तक तकरीबन 24 हज़ार शिकायतें दर्ज हुई हैं. वहीं 59 ठगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. वहीं कुछ को नोटिस दिए गए हैं, इसके पीछे का कारण पुख्ता साक्ष्यों की कमी है.
बढ़ती शिकायतों पर की गई कार्रवाई को लेकर पुलिस पर सवाल उठना लाजमी है. देहरादून स्थित साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में 4 चार निरीक्षक, 3 अपर उपनिरीक्षक और 10 दरोगा है. सीमित स्टाफ होने के कारण साइबर ठगी के मामले में पुलिस लाचार दिखाई देती है. ऐसे में इन ठगों की धरपकड़ अपने आप में एक चुनौती बन जाती है. लोकल18 से बातचीत के दौरान एसएसपी एसटीएफ, नवनीत भुल्लर ने कहा कि स्टाफ बढ़ाने की तैयारी की जा रही है. यदि कोई ठगी का शिकार होता तो वह तुरंत अपनी शिकायत 1930 पर फोन कर दर्ज़ करवा सकता है. जिससे हमें अकाउंट को ट्रेस करने में मदद मिलती है और जल्द जालसाज़ों को पकड़ने में आसानी होती है.