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नाम जपते हुए चिंतन नहीं गिनती पर रहता है ध्यान? प्रेमानंद महाराज ने बताया सही तरीका

Premanand Maharaj On Naam Jap: वृंदावन के जाने-माने संत प्रेमानंद महाराज अपने प्रवचन में हमेशा जिंदगी को सही तरीके से जीने का सलीका सीखाते हैं। उनके प्रवचन में कही गई बात से हर कोई रिलेट करता है। प्रेमानंद महाराज अपने प्रवचन के दौरान लोगों को नाम जप के लिए बहुत प्रेरित करते हैं। साथ ही इस दौरान वह इसे करने का सही तरीका भी बताते हैं। वहीं नाम जप को लेकर लोगों के बीच कई कन्फ्यूजन भी होता है, जिसे वो एकांतित वार्तालाप के जरिए दूर भी करते हैं। एक महिला श्रद्धालु ने हाल ही में प्रेमानंद महाराज से पूछा कि अगर नाम जप करते वक्त ध्यान ना रहें और सिर्फ गिनती पर ही ध्यान रहें तो क्या करना चाहिए। इसका जवाब प्रेमानंद महाराज ने बड़े ही खूबसूरत अंदाज में दिया। नीचे जानें उनका जवाब…

मंत्र में ना लगे मन तो करें ये काम

प्रेमानंद महाराज ने कहा कि कोई बात नहीं चलाते रहो। चलाते रहो। आगे चलकर स्थिति आ जाएगी कि मंत्र में ध्यान रहेगा संख्या में नहीं। अभ्यास करते रहो। बहुत सुंदर अभ्यास कर रहे हो। करते ही रहना चाहिए। इसे और बढ़ाते रहना चाहिए।

नाम जप करते हुए सब भगवान पर छोड़ दें?

इस सवाल के जवाब पर प्रेमानंद महाराज ने कहा कि हां, बिल्कुल छोड़ देना चाहिए। अपने कर्तव्य का पालन करते हुए फल को भगवान के ऊपर छोड़ देना चाहिए और नाम जप करना चाहिए। कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। भगवान ने कहा है कि कर्म पर तुम्हारा अधिकार है फल पर नहीं। सुख दुख में समान भाव। लाभान में समान भाव। जय पराजय में समान भाव और निरंतर नाम जप और कर्म करते हुए कर्म फल को भगवान के चरणों में समर्पित करना ये सिद्ध महापुरुष के लक्षण हैं। हम लोग कर्म करके उसकी आशा रखते हैं कि कर्म फल में सफलता प्राप्त हो लेकिन सफलता और असफलता प्रारब्ध से है।

प्रेमानंद महाराज ने कही ये बात

अगर आपका पाप कर्म जोरदार है तो जितने भी पढ़े लिखे हो डिग्री लेके घूमो नौकरी नहीं मिलेगी। अगर आपका पुण्य कर्म जोरदार है तो आप झटके में चले जाएंगे। तो असफलता और सफलता ये सब प्रारब्ध पर जुड़ी हुई है। कर्म पर हमारा अधिकार है। एक बार प्रारब्ध फेल करेगा। दूसरी बार प्रारब्ध फेल करेगा लेकिन तीसरी बार तो पास ही हो जाएंगे। हमें अपने कर्तव्य कर्म को करते रहना चाहिए। कर्म करके फल को भगवान पर छोड़ देना चाहिए और नाम जप करना चाहिए।

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