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शराब बिक्री में कटौती

इस भार को हल्का करने के लिए सरकार ने शराब पीने वालों की जेब पर बोझ डालते हुए शुल्क में वृद्धि की। इससे सरकार के खजाने की कुछ हद तक हालत तो सुधर रही है लेकिन इसका सीधा असर शराब की बिक्री पर दिखाई दे रहा है। जून महीने में सरकार ने शराब पर शुल्क बढ़ाया। एक बोतल पर 50 से 100 रुपये तक की वृद्धि की गई। इससे शराब पीने वालों का आर्थिक बजट बिगड़ गया।

बियर बार की बिक्री पर भी इसका असर पड़ने लगा जिसके चलते बार मालिकों ने इसका विरोध भी जताया था। भाव वृद्धि का सीधा फटका शराब पीने वालों की जेब पर पड़ा और उन्होंने खपत कम कर दी। उत्पादन शुल्क विभाग के आंकड़ों के अनुसार शराब की बिक्री में बड़ी गिरावट दर्ज हुई है। जून के बाद विदेशी शराब की बिक्री में कमी आई।

देसी शराब की बिक्री में आई गिरावट

जून की तुलना में जुलाई में करीब 60,000 लीटर की गिरावट रही, जबकि अगस्त में यह घटकर करीब ढाई लाख लीटर तक पहुंच गई। वाइन की बिक्री में जरूर बढ़ोतरी देखी गई। वहीं देसी शराब की बिक्री में भी गिरावट हुई। जून की तुलना में जुलाई में लगभग 2 लाख लीटर की कमी रही। अगस्त में करीब डेढ़ लाख लीटर की वृद्धि जरूर हुई लेकिन जून की तुलना में बिक्री अभी भी कम है। इससे यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि या तो पीने वालों की संख्या घटी है या फिर उन्होंने खपत घटाई है।

देशी शराब की ओर बढ़ता रुझान

शुल्क वृद्धि का सबसे ज्यादा असर सस्ती विदेशी शराब पर पड़ा है। कीमत बढ़ने से इसकी खपत में बड़ी कमी आई है। देशी शराब की बिक्री भी घटी थी लेकिन जुलाई की तुलना में अगस्त में इसमें बड़ी वृद्धि देखी गई। इससे संकेत मिल रहे हैं कि अब लोगों का रुझान देशी शराब की ओर बढ़ रहा है।

शराब बिक्री के आंकड़े

महीनादेशीविदेशीबियर
जून239623014960901565271
जुलाई218165214387051048222
अगस्त232653913985931192117

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