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9 महीने की गितांशी को मिला नया जीवन, रायपुर के डॉक्टरों ने हटाया पेट का ट्यूमर

रायपुर ब्यूरो रिपोर्ट। मुंगेली जिले की 17 महीने की बच्ची गितांशी गावेल, पिता उजाला गाबेल, पिछले 8 महीनों से गंभीर बीमारी से जुड़ा रही थी। करीब 8 मही पहले गितांशी मात्र 9 महीने की थी अचानक उसका पेट फूलने लगा। परिजन इसे मामूली गैस की समस्या समझकर गाँव के डॉक्टरों से प्राथमिक इलाज करवाते रहे, लेकिन स्थिति में सुधार नहीं हुआ।

इसके बाद अब गितांशी को मुंगेली के अस्पताल ले जाया गया और सोनोग्राफी आंच कराई गई, तो रिपोर्ट में यह सामने आया कि बच्ची के पेट में ट्यूमर है। इस खबर से परिवार में चिंता बढ़ गई। परिजन बेहतर इलाज की तलाश में रायपुर के कई अस्पतालों के चक्कर लगाते रहे, लेकिन कोई विशेष राहत नहीं मिली। आखिरकार गितांशी को MMI नरायणा हॉस्पिटल, रायपुर लाया गया, जहां मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डी देवव्रत हिसिकर ने जाँच में पाया की गितांशी के पेट में न्यूरो ब्लास्टोमा नाम का कैंसर है और बीमारी पसलियों में भी चौल गयी थी जिससे बच्ची को बहुत ज्यादा दर्द हो रहा था, और वह ठीक से खाना ना खाने के कारण काफी कमजोर हो गयी थी

डॉ देववत ने बताया की 9 महीने की बच्ची में कीमोथेरेपी देना अत्यंत अटिल प्रक्रिया होती है। इस उम्र में बच्चे का वजन और अंगों का कार्य (जैसे लिवर और किडनी) पूरी तरह विकसित नहीं होता, जिससे दवा की सटीक मात्रा तय करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है। दवा का पतलापन (dilution) अत्यंत सावधानी से करना आवश्यक है, अन्यथा तरल की अधिकता से हृदय विफलता (cardiac failure) का खतरा बढ़ सकता है। साथ ही, नसों का पतला होना, संक्रमण कर अधिक जोखिम, और सपोर्टिव केयर में कठिनाइयों इस प्रक्रिया को और जटिल बना देती हैं। ऐसी स्थिति में अनुभवी ऑन्कोलॉजी टीम द्वारा उपचार, निरंतर निगरानी और माता-पिता की सक्रिय भागीदारी अत्यंत आवश्यक है।कीमोथेरपी पूरी होने के बाद हॉस्पिटल के सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ भारत भूषण एवं टीम के द्वारा गितांशी की सर्जरी की गयी,

डॉ भारत भूषण ने बताया की बच्ची का ट्यूमर एओटी, किडनी और आईवीसी से चिपका हुआ था, जिससे सर्जरी अत्यंत जोखिमपूर्ण थी। बच्चों में इस प्रकार की सर्जरी के दौरान रक्तस्राव (ब्लड लॉस) का भी गंभीर खतरा रहता है, परंतु हमारी टीम की विशेषज्ञता और सतर्कता से पूरी प्रक्रिया सुरक्षित रूप से सम्पन्न हुई। यह उपलब्धि हमारे डॉक्टरों की मेहनत, टीमवर्क और आधुनिक चिकित्सा तकनीकों की सफलता का उदाहरण है।

एम एम आई हॉस्पिटल में एनेस्थीसिया विभाग के सीनियर कंसलटेंट एवं एचओडी डॉ राकेश चांद ने बताया गितांशी की सर्जरी के दौरान एनेस्थीसिया देना बेहद चुनौतीपूर्ण था। इस आयु में शरीर छोटा होने के कारण रक्त की मात्रा कम होती है, जिससे थोड़ी-सी रक्तस्राव भी गंभीर हो सकती है। ट्यूसर महत्वपूर्ण अंगों और रक्त वाहिकाओं के पास होने से सर्जरी के दौरान साँस और रक्त संचार पर असर पड़ने की आशंका रहती है

हॉस्पिटल के फैसिलिटी डायरेक्टर डॉ अजित वेल्लमकोंडा ने बताया कि हमारे डॉक्टरों और पूरी टीम ने 9 माह के बच्ची में दुर्लभ कैंसर का सफल उपचार कर उत्कृष्ट टीमवर्क और चिकित्सा दक्षता का परिचय दिया है। एमएमआई नारायणा हॉस्पिटल न केवल अन्य विभागों में, बल्कि कैसर के उपचार में भी एक उच्च स्तरीय चिकित्सा संस्थान के रूप में स्थापित है, जहाँ आवश्यकतानुसार मरीजों को विभिन्न विभागों के विशेषज्ञों की समग्र और समन्वित चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाती हैआज गितांशी पूरी तरह से स्वस्थ है और अन्य बच्चों की तरह खेलकूद में भाग ले रही है। पिता उजाला गाबेल ने भावुक होकर बताया “डॉक्टरों की टीम ने मेरो बेटी को नया जीवन दिया है। हम MMI नरायणा हॉस्पिटल और डॉक्टरों के प्रति हृदय से आभारी हैं।”

हॉस्पिटल की कैंसर सर्जन डॉ. आकांक्षा चिखलीकर ने इस अवसर पर जानकारी दी की एम एम आई नारायणा कैंसर केवर ने महिलाओं के लिए पूरे अक्टूबर माह में स्तन कैंसर स्क्रीनिंग मात्र ₹1 में कराने की विशेष पहल शुरू की है।साथ ही रेडिएशन ऑन्कोलॉजी विभाग के कंसल्टेंट डॉ. अखिलेश साहू एवं एसोसिएट कंसल्टेंट डॉ. अवधेश भारत ने महिलाओं में स्तन कैंसर के प्रा जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से स्तन कैंसर स्क्रीनिंग कूपन भी लांच किया ताकि अधिक से अधिक महिलाएं समय पर जांच कर सकें और रोगक प्रारंभिक अवस्था में पहचान हो सके।

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