महायुति सरकार ने हाल ही में विधानसभा में वित्त वर्ष 2025-26 के लिए 75,286 करोड़ 37 लाख 59 हजार रुपये की रिकॉर्ड पूरक मांगें (Supplementary Demands) सामूहिक रूप से मंजूरी के लिए पेश की हैं। सदन में बोलते हुए वित्त मंत्री अजीत पवार ने इस बात पर जोर दिया कि दिसंबर की पूरक मांगों में इतना बड़ा आंकड़ा पहले कभी नहीं आया था। ( 75 हजार करोड़ रुपये) इन सभी पूरक मांगों को सदन ने मंजूर कर दिया है।
केंद्र सरकार से सहायता की मांग
प्राकृतिक आपदा के संबंध में, राज्य सरकार ने केंद्र से सहायता के लिए लगभग 29,781 करोड़ रुपये की मांग की है। राज्य ने आपदा हानि के संबंध में विस्तृत रिपोर्ट केंद्र सरकार को 27 नवंबर और 1 दिसंबर को भेजी थी। केंद्र सरकार ने भी स्थिति का जायजा लेने के लिए 3 से 5 नवंबर के बीच आठ अधिकारियों का एक दल राज्य में भेजा था।
इस दल ने धाराशिव, सोलापुर, अहिल्यानगर और बीड सहित चार जिलों का दौरा किया था। राज्य के मुख्यमंत्री और दोनों उप मुख्यमंत्रियों ने प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से भी इस विषय पर चर्चा की है, और केंद्र से यह आश्वासन मिला है कि प्राकृतिक संकट में राज्यों की मदद करने की नीति केंद्र सरकार हमेशा अपनाती है। राज्य को उम्मीद है कि केंद्र से निश्चित रूप से सहायता प्राप्त होगी।
खर्च बढ़ने का कारण
पवार ने स्पष्ट किया कि पूरक मांगी में इसा भारी वृद्धि का मुख्य कारण प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित किसानों को बड़े पैमाने पर सहायता प्रदान करना है। प्राकृतिक संकट के दौरान, जिसमे किसानों की जमीनें खराब हो गई और पुरं गाद से भर गए, सरकार ने कुला 44,000 करोड़ रुपये का पैकेज जारी किया है।
यह पैकेज दो चरणों में दिया गया-पहले 33,000 करोड़ रुपये, और फिर 11,000 करोड़ रुपये, पवार ने कहा कि यह किसानों की मदद करने की महायुती सरकार की भूमिका का हिस्स्स है, जिसके कारण यह आंकड़ा बढ़ा है।
वित्तीय अनुशासन और राजस्व प्रयास
बड़ी पूरक मांगों के बावजूद, सरकार ने वित्तीय अनुशासन बनाए रखने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है-सरकार चालू वर्ष के अंत तक खचों पर नियंत्रण रखेंगी। राज्य सरकार का प्रयास है कि राजकोषीय घाटे को सकल राज्या उत्पाद (GSDP) के तीन प्रतिशतम की सीमा के भीतर ही रखा जाए।
यह भी बताया गया कि महाराष्ट्र देशा के केवल तीन राज्यों में से एक है जिसका ऋण प्रमाण केंद्र द्वारा निर्धारित 20 प्रतिशत की सीमा से कम है, अन्य दो राज्य गुजरात और ओडिशा हैं। राजस्व बढ़ाने के लिए, सरकार जीएसटी (बस्तु एवं सेवा कर), उत्पाद शुल्क (एक्साईज), और खनन से प्राप्त होने वाले राजस्व को बढ़ाने हेतु आवश्यक उपाय करने के लिए प्रयत्नशील है।





